आज अपने राजपुर निवास 18 ओल्ड मसूरी रोड़, देहरादून आवास पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने धूमधाम से हरेला पार्टी का आयोजन करवाया।
इस पार्टी में कंण्ड़ाली की चाय, पहाड़ी अर्से, पहाड़ी रायता, सिंगोड़ी, पतोड़ें, अल्मोड़ा की बाल मिठाई आदी कई चीजें परोसी गई..
पहाड़ी फलों, सब्जियों और व्यंजनों को बढ़ावा देना बहुत अच्छी बात है, जिसे पहाड़ से आने वाले हरीश रावत अपने कार्यकाल निपट जाने के बाद भी बखूबी निभा रहे हैं। एक तरफ वे सरकार की नीतियों औऱ फैसलों के खिलाफ सड़क पर बैठ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर आये दिन पहाड़ी फलों औऱ व्यंजनों की दावत दे रहे हैं।
देखा जाए तो वर्तमान में हरदा अपने इन्हीं दो हथियारों के बलबूते राजनीति औऱ मीडिया में सक्रियता बनाए हुए हैं।
पहले काफल..फिर आम..और अब हरेला पर्व पर दावत का न्यौता इसी बात की तस्दीक करता है………….
हरीश रावत के मुताबिक हरेला पर्व जहां राज्य को हरा-भरा रखने की भावना को दिखाता है, तो वहीं नई पीढ़ि को भी अपनी परम्पराओं से रुबरू करवाता है। साथ ही वे यह भी कहते हैं कि इसे बचाने के लिए लगभग ग्यारह सौ छोटी-2 पहल मुख्यमंत्री के रूप में वे कर चके हैं।
हरीश रावत की इन पहाड़ी दावतों के इतर प्रदेश कांग्रेस के उस मुखिया का भी दर्द महसूस किया जाना चाहिए, जिसके पास बाजा तो है लेकिन सीटि किसी और के पास है…………….