हरिद्वार। हरिद्वार में पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी के बावजूद खनन के अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। प्रशासन से बेखौफ होकर कुछ खनन माफियों ने अवैध खनन के नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। ताजा उदाहरण जिले के सलेम पुर गांव के नजदीक देनशू चेक के पास एक व्यक्ति ने समतलीकरण के नाम पर 500 घन मीटर मिट्टी निकालने की अनुमति जिला प्रशासन से ली, लेकिन अनुमति के नाम पर लगभग 4 दिनों में 5000 घन मीटर अवैध खनन कर प्रशासन को लाखों रुपये का चूना लगा डाला। यही नहीं प्रशासन ने एक जेसीबी की अनुमति दी तो माफिया ने दो जेसीबी लगा डाली। मामले की जानकारी मिलते ही एसडीएम मनीष कुमार ने तुरंत अपने अधीनस्थों को जांच के आदेश दिए। एसडीएम हरिद्वार मनीष कुमार का कहना है कि जांच में अगर अवैध रूप से मिट्टी का खनन होना पाया जाता है तो दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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हरिद्वार। हरिद्वार में पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी के बावजूद खनन के अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। प्रशासन से बेखौफ होकर कुछ खनन माफियों ने अवैध खनन के नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। ताजा उदाहरण जिले के सलेम पुर गांव के नजदीक देनशू चेक के पास एक व्यक्ति ने समतलीकरण के नाम पर 500 घन मीटर मिट्टी निकालने की अनुमति जिला प्रशासन से ली, लेकिन अनुमति के नाम पर लगभग 4 दिनों में 5000 घन मीटर अवैध खनन कर प्रशासन को लाखों रुपये का चूना लगा डाला। यही नहीं प्रशासन ने एक जेसीबी की अनुमति दी तो माफिया ने दो जेसीबी लगा डाली। मामले की जानकारी मिलते ही एसडीएम मनीष कुमार ने तुरंत अपने अधीनस्थों को जांच के आदेश दिए। एसडीएम हरिद्वार मनीष कुमार का कहना है कि जांच में अगर अवैध रूप से मिट्टी का खनन होना पाया जाता है तो दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। 2 Hello Uttarakhand News »

नई दिल्लीः एनएच 74 घोटाले के आरोपी विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी निलंबित डीपी सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष याचिका भी आज खारिज हो गई है। इससे पूर्व हाईकोर्ट में दायर याचिका खारिज होने के बाद डीपी सिंह सुप्रीम कोर्ट गए। याचिका खारिज होने के बाद डीपी सिंह की आखिरी उम्मीद का भी अंत हो गया है। इसके साथ ही उनकी गिरफ्तारी का रास्ता भी साफ हो गया। अब उनकी गिरफ्तार हर हाल में होनी तय मानी जा रही है।

बता दें कि एनएच 74 घोटाले के आरोपी डीपी सिंह ने हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर एनएच 74 घोटाले मामले में उनके खिलाफ हुई कार्रवाई की सीबीआई जांच की गुहार लगाई थी। डीपी सिंह ने याचिका में कहा था कि जब यह घोटाला उजागर हुआ, तब राज्य सरकार ने मामले की जांच कराने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया।

जिसमें से एक सदस्य कुमाउं आयुक्त भी थे, किन्तु उस कमेटी की एक भी बैठक होने से पहले कुमाउं आयुक्त के निर्देश पर एसएसपी ऊधम सिंह नगर ने याची के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया जो द्वेषभाव से किया गया।

इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि याचिकर्ता पर कृषि को भी व्यवसायिक भूमि दिखाकर सरकारी धन का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया गया, जो गलत है। जबकि भू स्वामियों को सर्किल रेट के हिसाब से पेमेंट किया गया गया। याचिकर्ता का यह भी कहना था कि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआइटी पक्षपातपूर्ण है, इसलिए इसकी जांच सीबीआई से की जानी चाहिए, लेकिन बीते हाईकोर्ट ने डीपी सिंह इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके साथ डीपी सिंह गिरफ्तारी का स्टे भी हटा दिया गया।

जिसके बाद उत्तराखंड पुलिस ने डीपी सिंह गिरफ्तारी को कई जगहों पर दबिश भी दी। इस बीच डीपी सिंह ने अंतिम तौर पर सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी, जहां आज उसकी विशेष याचिका खारिज हो गई। अब डीपी सिंह की गिरफ्तारी तय मानी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के शासकीय अधिवक्ता जेके भाटिया ने हैलो उत्तराखंड न्यूज को बताया कि याचिकर्ता डीपी सिंह की विशेष याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी है।

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