स्कूलों में डेस्क और ब्लैक बोर्ड लगाए, नहीं तो रोक दिया जाएगा वेतन- नैनिताल हाईकोर्ट

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स्कूलों की बढ़ती लापरवाही और बिगड़ती हालत पर हाईकोर्ट सख्ती में आ गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने खस्ताहाल स्कूलों के हालात को देखते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। जिसके लिए हाईकोर्ट ने स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को 9 महीने का वक्त दिया हैं।

यह फैसला जस्टिस राजीव शर्मा औऱ जस्टिस आलोक सिंह की खंडपीठ ने लिया है।

उत्तराखंड राज्य के स्कूलों के हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जहां पर विद्यार्थी अभी भी दरियों पर बैठकर पढऩे को मजबूर हैं। अब बात अगर इन स्कूलों में लगे ब्लैक बोर्ड की करें तो इनकी हालत खस्ता हो चुकी है। जहां एक तरफ कई ऐसे स्कूल हैं जहां पर ब्लैक बोर्ड पर लिखा हुआ स्टूडैंट्स को समझ ही नहीं आता तो वही कई ऐसे भी स्कूल हैं जहां पर ब्लैक बोर्ड की सुविधा ही नहीं हैं।

इस लापरवाही पर डाली गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए HC की डबल बेंच ने 2016 में यह फैसला सुनाया था ताकि स्टूडैंट्स को सही मायने में इसका लाभ मिल सके। जिसके बाद आज हाइकोर्ट डबल बेंच ने 6 महीने में सभी स्कूलों में डेस्क और ब्लैक बोर्ड लगाने का आदेश जारी किया हैं।

उन्होने आगे फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर आदेशों का पालन नहीं किया गया तो जनवरी 2018 से शिक्षा अधिकारियों का वेतन रोक दिया जाएगा ।

मालूम हो कि 2016 में दिपक राणा की जनहित याचिका में नैनिताल हाईकोर्ट ने सरकार को दस दिशा- निर्देश दिए गये थे। जिसके बाद ललित मिगलानी द्वारा कोर्ट ने एपलिकेश के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा और शिक्षा विभाग द्वारा कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। जिसके बाद कोर्ट ने पहले शिक्षा सचिव और उसके बाद वित्त सचिव से जवाब तलब किया गया।

जिसके बाद सरकार के ऑर्टनी जनरल ने कोर्ट को बताया कि जल्द ही कैबिनेट बैठक में इन फैसलों को ले लिया जाएगा। लेकिन कैबिनेट में इस तरह के फैसलों को न लिए जाने के चलते औऱ शासन की ओर से कोई स्पष्ट समय न दिये जाने के चलते कोर्ट को यह आदेश देना पड़ा।

इसी के साथ कोर्ट ने सरकार द्वारा लक्सरी गाड़ीयों की खरीद पर भी रोक के अपने फैसले को बरकरार रखा है। उन्होनें कहा की अगर सरकार कोई भी लक्सरी गाड़ी खरीदती है तो पहले उसे प्रिंसिपल सेकेटरी से अनुमती लेनी होगी। जिसकी जांच के बाद और जरूरत देखने के बाद ही प्रिंसिपल सेकेटरी ही उसकी अनुमती दे सकेगा।  जिसके बाद ही वह गाड़ियों की खरीद कर पाएगी।

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