साइबर क्राइम की सबसे बड़ी वारदात,95 एफआईआर दर्ज लगभग 29 लाख की चपत…

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एटीएम कार्ड का डाटा चोरी करके खातों में सेंध के मामले में आये दिन इजाफा होता जा रहा है। अब तक 95 एफआईआर दर्ज हो चुकीं है। एफआईआर की संख्या के लिहाज से यह मामला साइबर क्रिमिनल्स द्वारा अंजाम दी गई देश की सबसे बड़ी वारदात बन गया है।

एटीएम कार्ड का डाटा चोरी करके खातों में सेंध लगाने के मामले में बुधवार को भी देहरादून में छह एफ.आई.आर दर्ज हुईं। इस सेंधमारी में अब तक लगभग 29 लाख रकम साइबर क्रिमिनल्स द्वारा निकाली गई है।

उत्तराखंड में एटीएम से डाटा चोरी कर खातों से रकम उड़ाने की पहली घटना नहीं है। 2016 सबसे पहली घटना नैनीताल के मल्लीताल थाने में हुई थी, जहां पर 38 लोगों के खातों से रकम उड़ाई गई थी।

एसटीएफ एसएसपी रिधिम अग्रवाल ने  हैलो उत्तराखंड को बताया की देहरादून से एटीएम का डाटा चुराकर जयपुर से लाखों की रकम निकालने वाले तीन
 संदिग्धों को चिन्हित कर उनकी पहचान की कवायद शुरू हो गयी है। अब तक सरकारी और प्राइवेट स्तर पर करीब 35 कैमरों का डाटा पुलिस हासिल कर चुकी है, जिनसे अलग-अलग जानकारी मिली है।

एटीएम से डाटा चोरी करने के मामले में एसटीएफ, साइबर सेल और पुलिस की टीम अपने-अपने टारगेट पर बखूबी ढंग से जुटी है। प्राइवेट साइबर एक्सपर्ट भी साइबर क्रिमिनल्स तक पहुंचने में पुलिस की मदद कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर तीन संदिग्धों पर फोकस किया गया है, जिनकी पहचान कराने की कवायद शुरू हो गयी है।

एसटीएफ एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल और एसएसपी निवेदिता कुकरेती रोज सुबह और शाम टीम के साथ अब तक की कार्रवाई की समीक्षा कर रहे है। दोनों कप्तानों ने संयुक्त रूप से कहा है कि डाटा मिलान के साथ सीसीटीवी फुटेज का आंकलन किया जा रहा है। कुछ जानकारियां मिली है, जिन्हें डेवलप किया जा रहा है।

एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने हैलो उत्तराखंड को बताया की नेहरू कालोनी थाने में दर्ज हुए मुकदमों की विवेचना में दस इंस्पेक्टर लगाए गए है। प्रत्येक इंस्पेक्टर को पांच-पांच विवेचनाएं दी गई है। इसके अलावा दूसरे थानों में दर्ज हुए मुकदमों की विवेचना वहां के इंस्पेक्टर करेंगे। दून पुलिस की एक टीम देर रात दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।

देहरादून में डाटा चुराने में अहम भूमिका निभाने वाला शातिर जयपुर की फुटेज में साफ नजर आ रहा है। इस लिंक ने पुलिस की मुश्किलों को काफी आसान कर दिया है। अब पुलिस के सामने इन संदिग्धों की पहचान कराने की चुनौती है। पहचान होते ही पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।

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