देहरादून/उत्तरकाशी। प्रदेश की तमाम आशा कार्यकत्रियां अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले दो माह से अधिक समय से हड़ताल पर हैं। आशाओं की हड़ताल के चलते गर्भवर्ती महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा पर भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा। सरकार ने आज आशाओं को छह दिन के भीतर मांगों पर अमल का आश्वासन तो दिया लेकिन आशाओं ने लिखित शासनादेश जारी न होने तक हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है।
आज भी परेड ग्राउंड में आशा कार्यकत्रियों ने धरना दिया। आशा कार्यकत्री स्वास्थ्य संगठन की प्रदेश अध्यक्ष शिवा दुब्बे व प्रदेश महामंत्री मंजू ठाकुर ने कहा कि सरकार आशाओं की सुध लेने को तैयार नहीं है। वे पिछले चार साल से प्रोत्साहन राशि तथा देश के अन्य सात राज्यों की तर्ज पर मानदेय दिए जाने की मांग कर रहे हैं, सरकार ने हर बार ही आश्वासन देकर गुमराह करने का काम किया। उन्होंने कहा कि अब वे मांगें पूरी न होने तक आंदोलन पर डटी रहेंगी। उन्होंने स्वास्थ्य निदेशालय की एमडी अर्चना श्रीवास्तव के इस बयान से काफी नाराजगी जताई कि सरकार के पास बजट नहीं है।
जबकि शिवा दुब्बे ने साफ किया कि कैग की रिपोर्ट के अनुसार एनआरएचएम का 44 प्रतिशत बजट विभाग दबाकर बैठा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अधिकारी और सरकार गुमराह करने का काम कर रहे।
वहीं एमडी स्वास्थ्य डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने हैलो उत्तराखंड न्यूज को बताया कि आशाओं की मांगों पर वार्ता के लिए 6 दिन का समय मांगा गया है, आशाओं ने काम पर लौटने का निर्णय लिया है। उधर, उत्तरकाशी जिले भर में आशा कार्यकत्रियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मिजिल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान का बहिष्कार के साथ कलक्ट्रेट में प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी कर प्रदर्शन किया।
साथ ही आशाओं ने डीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन प्रेषित किया। जबकि मांगों के जल्द निस्तारण न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई। देहरादून में कल आशाओं ने जुलूस रैली निकालने का ऐलान किया है।