सरकार चुकाएगी एमबीबीएस लोन…

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सरकार चुकाएगी एमबीबीएस लोन… 2 Hello Uttarakhand News »

देहरादून

उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में रियायती दर पर एमबीबीएस कोर्स कराने की व्यवस्था बंद जल्द ही खत्म होने वाली है। छूट लेकर पढ़ाई पूरी होने के बाद डॉक्टरों के राज्य में सेवा देने से कन्नी काटने के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस प्रावधान को बदलने की तैयारी की जा रहा है। अब शासन एक नई व्यवस्था लागू करगी, जिसमें छात्र को एमबीबीएस कोर्स करने के लिए बैंक से लोन लेना होगा। एजूकेशन लोन लेकर पढ़ाई करने वाला डॉक्टर अगर सरकारी अस्पताल में 15 साल तक सेवा करता है, तो सरकार वेतन देने के साथ ही उसकी बैंक की किस्त भी खुद जमा करेगी। ऐसा न करने की स्थिति में सरकार किस्त देना बंद कर देगा।

उत्तराखंड में पहला सरकारी मेडिकल कालेज 2004-2005 में हल्द्वानी में खोला गया था, जहां एमबीबीएस का कोर्स शुरू हुआ। शुरुआत के सालों में छात्रों को कोर्स की पूरी फीस चुकानी होती थी। बाद में तत्कालीन खंडूरी सरकार ने उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में सेवा देने की शर्त पर एमबीबीएस की वार्षिक फीस मात्र 15 हजार कर दी थी। इस छूट के बदले छात्रों को राज्य के अस्पतालों में पांच साल तक सेवा करने का अनुबंध करना होता है, लेकिन यह फार्मूला सफल नहीं हो सका है।

मौजूदा वक्त में जो छात्र एमबीबीएस का कोर्स अनुबंध के आधार पर करते हैं, उनको अनुबंध की शर्त तोड़ने पर दो करोड़ तक का जुर्माना वसूलने का नियम है। मगर अब तक यह जुर्माना वसूलने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। स्थिति यह है कि कितने डॉक्टरों ने अनुबंध के आधार पर सरकारी मेडिकल कालेजों से पढ़ाई की और बाद में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सेवा की है, इसका पूरा ब्योरा शासन से लेकर डीजी हेल्थ कार्यालय के पास नहीं है।

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि एमबीबीएस कोर्स में अनुबंध की जगह एजूकेशन लोन की ईएमआई देने की व्यवस्था को लागू करने की तैयारी जा रही है। इसमें रियायती फीस की सुविधा के दुरुपयोग को देखते हुए यह निर्णय लिया जा रहा है।

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