भले ही राज्य सरकार अपने संस्कृत प्रेमी और उत्तराखंड संस्कृति संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाले महान व्यक्तियों के प्रति यह दावा करती आई है कि उनके लिए सरकार हमेशा कदम उठाती आई है और उठाती रहेगी। लेकिन हाल ही में हमारे सामने कई ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें देख बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता कि हमारी राज्य सरकार इन महानुभावों के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठा रही हो।
दरअसल हम जिस महानुभव की बात कर रहे हैं, वे उत्तराखंड संस्कृति संरक्षण व उत्तराखंड जगत में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। और वे संगीत जगत में एक जाना पहचाना नाम भी हैं, संगीतकार हीरा सिंह राणा । जो लगभग 15 साल की उम्र से ही उत्तराखंड व कुमांउ की संस्कृति को बचाने को हर समय तत्पर हैं। लेकिन किस्मत का खेल तो देखिए। जिस संस्कृति को बचाने के लिए हीरा सिंह राणा ने अपनी पूरी जिंदगी खपा ली आज उसी महानुभव के प्रति हमारी राज्य सरकार उदासीन रवैया अपनाए हुई है।
हालांकि राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी और गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी के इलाज का पूरा खर्चा वहन किया। लेकिन सरकार को इस बात पर गौर करना चाहिए कि उसे उत्तराखंड प्रख्यात विद् व जानी मानी हस्तियों के अलावा भी अन्य संस्कृति को बचाने वाले महानुभवों को भी याद रखना चाहिए । क्योंकि प्रख्याद्विदों के पास प्रयाप्त मात्रा में धन भी है और लोकप्रियता भी । लेकिन कई ऐसे कलाकार भी हमारे समाज में हैं जिनको सरकार आर्थिक सहायता नहीं करती। लेकिन सरकार को हमारे संस्कृति संरक्षकों के प्रति भी ध्यान देना चाहिए।
हम आपको बता दें कि हीरा सिंह राणा पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई है। जिस कारण उन्हें रामनगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भले ही हम सब जानते ही हैं कि उत्तराखंडी कलाकारों की क्या हालत है। लेकिन हैरत की बात तो यह है कि जिन्हेंने 15 साल की उम्र से ही अपना जीवन गढ़वाली संस्कृति को सौंप दिया आज उसके पास अपना इलाज करवाने को पैंसे तक नहीं हैं। जिससे आप उत्तराखंडी कलाकारों की स्थिति का आंकलन कर सकते हैं। ऐेसे में हमें अपने आस-पास मौजूद ऐसे महानुभावों की मदद तो करनी ही चाहिए लेकिन ऐसे में सरकार को भी इनका हाथ थामना चाहिए। हम आपको बता दें कि वो अपना इलाज रिश्तेदारों से उधार लेकर अपना इलाज करवा रहे हैं।
हालांकि हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए उनकी पत्नी विमला राणा का कहना है कि सरकार की तरफ से आश्वासन मिला है कि उनका पूरा खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी। वहीं हंस फाउंडेशन ने भी हीरा सिंह राणा का पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है।
वहीं हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजेश भट्ट से इस बाबत जब जानकारी जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि आज शाम तक या फिर कल शाम तक उनको आर्थिक सहायता प्रदान कर दी जायेगी।
जिस प्रकार उनकी पत्नी व घर वालों को सरकार ने आश्वासन दिया है कि सरकार ही उनका पूरा खर्चा वहन करेगी, लेकिन देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार अपना आश्वासन पूरा करती भी है कि नहीं? क्यूंकि अभी तक जितना भी देखने में आया है सरकारें आश्वासन तो कर देतीं हैं लेकिन कई आवश्वास कर भूल भी जाती हैं।