संजय कुँवर
चमोली
विष्णुप्रयाग संगम के समीप केंन्द्रीय पर्यटन मन्त्रालय द्वारा आधुनिक योगध्यान सेंटर का निर्माण किया गया है। जिसका उद्देश्य प्रदेश के सीमांत तीर्थाटन एंव पर्यटन नगरी जोशीमठ को “आध्यात्मिक पर्यटन” से जोड़ कर पर्यटन को बढावा देना था।
लेकिन 50लाख से भी ज्यादा की भारी भरकम धनराशि खर्च होने के बाद भी और करीब तीन सालों तैयार यह योग ध्यान सेंटर अब तक बन्द पड़ा है। इसे प्रदेश सरकार की लापरवाही कहें या इसे हैंडओवर करने वाली संस्था की कोई मजबूरी कि इस सेंटर पर आज भी ताला जडा हुआ है।
एक तरफ जहां पीएम मोदी विश्व में योगा को अन्तराष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश में है, तो वहीं छेत्र में प्रशासन की पर्यटन के प्रति इस तरह की लापरवाही देखने को मिल रही है,ऐसे में पर्यटन विकास कैसे सम्भव है।
यही नही इसके निर्माण में फिलीपींस से आयात मंहगी लकडियों को लगाया गया है, जो अब धीरे धीरे बिन रखरखाव बर्बाद होने लगी है। बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों सहित वैली की सैर करने आने वाले हजारों देशी विदेशी सैलानियों को कुछ देर के लिये विष्णुपुरी के इस आध्यात्म सेंटर पहुचकर मेडिटेशन की ईच्छा होती है,लेकिन इस आध्यात्मिक सेंटर पर ताला देख निराशा ही हाथ लगती है।
बता दें कि इस योगा सेंटर के लिये फिलीपींस देश की बेशकीमती लकडिया आयात कर भव्य डिजाईन और आलोकिक अनुभूति के लिये संगम के मध्य इस सेंटर का निर्माण हुआ है, लेकिन विभागीय लापरवाही का शिकार लाखों रुपये की लागत से बना ये सेंटर बिना उद्घाटन के ही बदहाली के कगार पर चला गया है।
देव पुजाई समिति जोशीमठ के अनिल नम्बूरी का कहना है कि पर्यटन विभाग को यह सोचना चाहिये कि पर्यटन की परिसंम्पतियां छेत्र में बर्बाद हो रही है, बिना उदेश्य के आखिर क्यों सरकार नें पैसा बर्बाद किया, जब सालों से ये ऐसा ही बदहाल पडा है। विदेशी लकडियों का हाल इस योगध्यान सेंटर में आकर देख लें, सब बेशकीमती लकडियां सड़नें लगी है। केंन्द्र सरकार के पैसों को ठिकानें लगानें का काम सरकार द्वारा यहां बेहतर ढंग से हुआ है।
जल्द ही अगर इस योगा सेंटर को खोला नही गया तो ये वीरान सेंटर पूरी तरह से बर्बाद हो जायेगा।