नैनीताल: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पीयूष कांत दीक्षित की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर मुख्य न्यायधीश के0एम जोसफ और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कुलपति को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
आपको बता दे कि रुड़की निवासी पवन कुमार उपाध्याय ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को गलत बताते हुए चुनौती दी है। याचिका में पीयूष के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की वैधता पर प्रश्नचिन्ह उठाया गया है।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि कुलपति पीयूष प्रमाणपत्र में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से हाई स्कूल वर्ष 1975 में 11 वर्ष की आयु में उत्तीर्ण की। इंटर1977 में उत्तीर्ण की, शास्त्री परीक्षा में स्नातक वर्ष 1979 और आचार्य स्नातकोत्तर वर्ष 1982 में उत्तीर्ण की है। इस आधार पर पियूष ने 11 वर्ष की आयु में हाईस्कूल,13 वर्ष में इंटर और 15 वर्ष की आयु में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की जो हास्यास्पद है ।
याचिकर्ता की ओर से इन दास्तावेज़ों की सत्यता की जांच करने की प्रार्थना की थी। पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कुलपति को जवाब देने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 4 अक्टूबर की तिथि तय की है।