देहरादून
प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष किषोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पत्र लिखकर राज्य में बिजली, पेयजल एवं सीवरेज की बढ़ी हुई दरों को वापस लेने तथा षराब की दुकाने घनी आवादी में खोले जाने का विरोध करते हुए राज्य में षराब बन्दी लागू किये जाने की मांग की है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए प्रदेष कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोषी ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को लिखे पत्र में प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपनी पारी की शुरूआत बिजली की दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ सीवरेज एवं पेयजल की दरों में वृद्धि की तैयारी से की है जिसका सीधा खामियाजा पहले से मंहगाई की मार झेल रही आम जनता को भुगतना पड़ेगा। भारतीय जनता पार्टी को प्रचण्ड बहुमत देने के बदले राज्य की भाजपा सरकार ने पेयजल, बिजली एवं सीवरेज की दरों में वृद्धि कर उत्तराखण्ड की जनता को मंहगाई का तोहफा दिया है।
केन्द्र सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण आम आदमी पहले से ही मंहगाई की मार से त्रस्त है। आम जरूरत की चीजों के दामों में दो से तीन गुना वृद्धि पर केन्द्र सरकार द्वारा नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। रसोई गैस, पेट्रोलिय पदार्थ तथा खाद्य्य पदार्थों के बाद अब राज्य सरकार द्वारा बिजली एवं पेयजल की दरों में भारी वृद्धि कर जनता को मंहगाई के बोझ से लादने का ही काम किया है। खाद्य्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण आम आदमी को दो वक्त की रोटी के लिए संघर्श करना पड़ रहा है। राज्य सरकार का यह निर्णय आम जनता के हित में नहीं है तथा बिजली, पानी की दरों में वृद्धि से पहले से ही मंहगाई की मार से पीड़ित जनता के ऊपर यह एक और बोझ आम आदमी के जीने की राह में कठिनाई पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी व्यापक जनहित को देखते हुए मांग करती है कि राज्य में बिजली, पेयजल एवं सीवरेज की बढ़ी हुई दरों पर पुर्नविचार कर उन्हें वापस लिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री को लिखे अन्य पत्र में श्री किषोर उपाध्याय ने कहा है कि षराब की दुकानों को नेषनल हाईवे से हटाने के मा0 न्यायालय के निर्देषों के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा इन दुकानों को घनी आबादी वाले क्षेत्रों में खोले जाने के विरोध में प्रदेषभर की महिलाएं सड़कों पर हैं। पूर्ववर्ती सरकारों को भी समय-समय पर षराब नीति में किये गये बदलावों के कारण जनता के रोश का सामना करना पड़ा था। एक ओर जहां इस समय सारा देष षराब के विरोध में खड़ा है वहीं देवभूमि उत्तराखण्ड में अगर नषे के कारोबार को बढ़ावा मिलता है तो ये देवभूमि के नाम पर भी प्रष्नचिन्ह लगाता है।
किशोर ने कहा कि जब मैं स्वयं विधानसभा का सदस्य था तो मै दो बार विधानसभा में प्रदेष में शराब बन्दी के पक्ष में प्रस्ताव भी लाया था। जन भावनाओं और विषेशकर जिनके परिश्रम से आज उत्तराखण्ड जीवंत है, उस मातृ षक्ति की भावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य सरकार को निर्णय लेना चाहिए जिससे देवभूमि की गरिमा अक्षुण्ण रहे।