मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी शंकर सागर ने एक अंक लिपि तैयार की है। जिसमें उन्होंने ऋषि-मुनियों द्वारा प्रयुक्त होने वाली और वैज्ञानिकों द्वारा प्रयुक्त होने वाले देवनागरी लिपि को 10 अंकों में ले आए हैं। शंकर सागर का कहना है कि देवनागरी लिपि केवल 11 स्टेटों में ही सिमट कर रह गई है। उनका कहना है कि जब हमारा राष्ट्र एक है हमारा जीवन जीने का तरीका एक है तो फिर एक ही लिपि क्यूं नहीं?
हैलो उत्तराखंड न्यूज से की गई स्पेशल बातचीत में उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव व लिपि के लिए राज्य सरकार ने 1करोड़ रूपए के इनोवेटिव फंड की बात की है। जिसपर फिलहाल कार्य चल रहा है और सैंट्रल गवरन्मैंट से 500 करोड़ का फंड इसके लिए खोल दिया गया है। उनका कहना है कि पहले मैंने अपनी जितनी भी बुक हैं वो संसद में व कई विद्वानों को भी पढ़ने को दीं हैं ताकि जो सुधार उनको लगे वह किया जा सके। इस दौरान उन्होंने आवाह्न किया कि लिपि को पढ़िए, समझिए, और आगे बढ़ाने मे सहयोग दें।