विमानों की उड़ान में बाधा बनती ऊँची इमारते… ऊंचाई कम करने का फरमान जारी – डीजीसीए

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मुंबई।  बड़ी-बड़ी इमारतों के लिए जाने-जानी वाली सपनो की नगरी मुंबई में ये ऊँची इमारते विमानों की उड़ान में बाधा बन रही है। विमानों के उड़ान पथ में आने वाली बाधाओं के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय (डीजीसीए) ने मुंबई की लगभग ७० इमारतों के मलिकों को ईमारत की ऊंचाई कम करने का फरमान सुनाया है। साथ ही ६० दिन की समय सीमा भी निर्धारित कर दी है। ये इमारत विले पार्ले, सांताक्रुज और घाटकोपर के आसपास हैं।

डीजीसीए द्वारा जून में जारी की गई “बाधाओं” की यह सूची में अपेक्षाकृत केवल नई इमारतों शामिल नहीं हैं, बल्कि 50 साल पुरानी दो मंजिली इमारतें भी हैं।

अधिकांश पुरानी इमारतों के पास एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ए0ए0आई) का नकली हाइट क्लियरेंस सर्टिफिकेट है, जबकि ए0ए0आई ने 1978 से नो-ऑब्जेकक्शन सर्टिफिकेट (एन0ओ0सी) देना शुरू किया है। वहीं अधिकांश नई इमारतों को अपने बड़े हिस्से को ढहाना होगा। ये आदेश जून माह की विभिन्न तिथियों को जारी किए गए हैं और अगस्त में इसकी डेडलाइन निर्धारित की गई है।

वहीं 45 ऐसी इमारतें भी हैं जिन्हें एनओसी तो मिली हैं, मगर उन्हें भी ऐसा नोटिस जारी किया जा सकता है। दरअसल, जांच में पाया गया है कि इनके पास ए0ए0आई के फर्जी एनओसी हैं। पुरानी इमारतों को जहां एक से छह मीटर तक अपनी ऊंचाई कम करनी है, वहीं नई इमारतों को अपने बड़े हिस्से को ढहाना होगा।

आपको बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने डीजीसीए से कहा था कि वे ऐसी इमारतों की सूची पेश करे, जो विमानों के रास्ते में बाधा है।

अब सवाल ये उठता है कि क्या पुरानी इमारतें 3 मीटर से 6 मीटर तक के विध्वंस का सामना कर सकती हैं? यदि ये इमारते विध्वंस के बाद गिर जाए, तो इसकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा?

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