रोहिंग्या मामले पर दुनिया भर में हो रही आलोचनाओं पर म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने सभी को कड़ा जवाब दिया है। सू की ने कहा कि जो लोग म्यांमार में वापस आना चाहते हैं, हम उनके लिए रिफ्यूजी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे। सू की ने कहा कि रोहिंग्या आतंकी हमलों में शामिल हैं। रोहिंग्या समूहों ने म्यांमार में हमले कराए थे। सू की ने कहा कि म्यामांर ने रोहिंग्या लोगों को संरक्षण दिया लेकिन नतीजा क्या निकला? हम आलोचनाओं से डरने वाले नहीं हैं। आंग सान सू की ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं से हम डरने वाले नहीं हैं। स्टेट काउंसलर ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में कहा कि मैं याद दिलाना चाहूंगी कि हमारी सरकार सिर्फ 18 महीने से सत्ता में हैं। हम शांति की स्थापित करने की कोशिश में लगे है साथ ही मानवाधिकार के उल्लंघन की भी म्यांमार निंदा करता हैं। रखाइन स्टेट में शांति स्थापना के लिए हम हरसंभव कदम उठाएंगे। लेकिन आतंक की गतिविधियों से हम सख्ती के साथ निपटेंगे। जानिए कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या मुसलमान विश्व का सबसे अल्पसंख्यक समुदाय है। इनकी आबादी करीब दस लाख के बीच है। बौद्ध बहुल देश म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमान शताब्दियों से रह रहे हैं। बीते दिनों म्यांमार में हुई हिंसा में रोहिंग्या मुसलमानों के मारे जाने के बाद पूरे विश्व की नजरे इन पर आ गईं हैं। सभी रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के रखाइन में रहते हैं। यह सुन्नी इस्लाम को मानते हैं। इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। ये म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या या रुयेन्गा भाषा बोलते हैं। जो रखाइन और म्यांमार के दूसरे भागों में बोली जाने वाली भाषा से कुछ अलग है। इन्हें आधिकारिक रूप से देश के 135 जातीय समूहों में शामिल नहीं किया गया है। 1982 में म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता भी छीन ली। जिसके बाद से वे बिना नागरिकता के जीवन बिता रहे हैं।
रोहिंग्या मामले पर दुनिया भर में हो रही आलोचनाओं पर म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने सभी को कड़ा जवाब दिया है। सू की ने कहा कि जो लोग म्यांमार में वापस आना चाहते हैं, हम उनके लिए रिफ्यूजी वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
सू की ने कहा कि रोहिंग्या आतंकी हमलों में शामिल हैं। रोहिंग्या समूहों ने म्यांमार में हमले कराए थे। सू की ने कहा कि म्यामांर ने रोहिंग्या लोगों को संरक्षण दिया लेकिन नतीजा क्या निकला? हम आलोचनाओं से डरने वाले नहीं हैं। आंग सान सू की ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं से हम डरने वाले नहीं हैं।
स्टेट काउंसलर ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में कहा कि मैं याद दिलाना चाहूंगी कि हमारी सरकार सिर्फ 18 महीने से सत्ता में हैं। हम शांति की स्थापित करने की कोशिश में लगे है साथ ही मानवाधिकार के उल्लंघन की भी म्यांमार निंदा करता हैं। रखाइन स्टेट में शांति स्थापना के लिए हम हरसंभव कदम उठाएंगे। लेकिन आतंक की गतिविधियों से हम सख्ती के साथ निपटेंगे।
जानिए कौन हैं रोहिंग्या मुसलमान
रोहिंग्या मुसलमान विश्व का सबसे अल्पसंख्यक समुदाय है। इनकी आबादी करीब दस लाख के बीच है। बौद्ध बहुल देश म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमान शताब्दियों से रह रहे हैं। बीते दिनों म्यांमार में हुई हिंसा में रोहिंग्या मुसलमानों के मारे जाने के बाद पूरे विश्व की नजरे इन पर आ गईं हैं।
सभी रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के रखाइन में रहते हैं। यह सुन्नी इस्लाम को मानते हैं। इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है।
ये म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या या रुयेन्गा भाषा बोलते हैं। जो रखाइन और म्यांमार के दूसरे भागों में बोली जाने वाली भाषा से कुछ अलग है। इन्हें आधिकारिक रूप से देश के 135 जातीय समूहों में शामिल नहीं किया गया है। 1982 में म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता भी छीन ली। जिसके बाद से वे बिना नागरिकता के जीवन बिता रहे हैं।