श्रीनगर: सरकार रैगिंग को लेकर भले ही सख्त कानून का दम भरती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया करती है। हाल ही में श्रीनगर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला सामने आया है जिसमें करवाई करते हुए दोषी पाए गए 2015 बैच के तीसरे वर्ष के दो छात्रों को एक सेमिस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया गया है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. चंद्र मोहन सिंह रावत ने बताया कि कॉलेज द्वारा रैगिंग के मामले की निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट एंटी रैगिंग सेल को सौंप दी। जाँच में दो तृतीय वर्ष के छात्र कुलदीप चंद्रा और चंद्रेश मार्तोलिया की संलिप्तता पाई गयी जिसके बाद उन्हें एक सेमेस्टर के लिए कॉलेज की शैक्षणिक गतिविधियों और छात्रावास से निलंबित कर दिया गया है।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने दावा किया है कि आगे आने वाले समय में ऐसी घटनाये की पुनःवृत्ति नही होगी। डॉ. चंद्र मोहन की माने तो उनके कॉलेज में एंटी रैगिंग समिति भी है जो दिन में चार बार कॉलेज और होस्टल का औचक निरक्षण करती हैं।
लेकिन सवाल ये उठता है कि अगर रोज औचक निरक्षण समिति द्वारा किये जाते है तो उसके बावजूद भी रैगिंग के मामले राजकीय मेडिकल कॉलेज में कैसे सामने आ रहे हैं?
वही सूत्रों की माने तो रैगिंग की घटनाये कॉलेज में इतनी बढ़ गयी है की रैगिंग से पीड़ित छात्र कॉलेज छोड़ रहे है। इस बाबत जब कॉलेज के प्राचार्य से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि कॉलेज से 35 छात्र जा रहे है लेकिन ये वो छात्र है जिन्होंने काउंसलिंग के दौरान अपग्रेडेशन का विकल्प चुना था, उन छात्रों को अपग्रेड मिला हैं।
आपको बता दे कि 14 अगस्त को एंटी रैगिंग हेल्प लाइन दिल्ली को मेल भेजकर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस प्रथम बैच के एक छात्र ने छात्रावास में 9, 10 और 12 अगस्त को मारपीट, डराने-धमकाने और परेशान करने की शिकायत की थी।