राम रहीम के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में आए फैसले के बाद पंचकूला समेत हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में हिंसा भड़की हुई है। इस हिंसा में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 लोग घायल हुए है।
जाट आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार की यह लगातार दूसरी नाकामी है। पहले से ही इसकी आशंका बनी हुई थी जगह-जगह एकत्रित हो रहे डेरा समर्थक उग्र हो सकते हैं। लेकिन फिर भी हरियाणा सरकार ने इस आपात स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए। जिसकी वजह से हिंसा काफी भड़क रही है और पुलिस इसे काबू करने में नाकाम साबित हो रही है।
पंजाब-हरयाणा हाईकोर्ट ने भड़कती हिंसा और इसमें हुए नुक्सान को देखते हुए, राम-रहीम की संपत्ति जब्त करने के निर्देश दिए है। काेर्ट ने ताकि हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई इस संपत्ति को बेच कर की जाएगी। हाईकोर्ट ने हिंसक होते समर्थक से सीबीआई जज की सुरक्षा सुनश्चित करने को कहा है।
बढ़ती हिंसा को देखते हुए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कानून हाथ में न लेने की लोगो से अपील करते हुए समर्थकों से शांति बनाये रखने को कहा है।
लोकतंत्र को शर्मनाक करती इस हरकत ने देश में अराजकता फ़ैलाने में कोई कसार नही छोड़ी है। धर्म और राजनीति के कॉकटेल की वजह से ये स्थिति और भी बत्तर होती जा रही है। इस शक्ति प्रदर्शन से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रामरहीम के खिलाफ केस लड़ रही इन दो महिलओं की लड़ाई कितनी मुश्किल रही होगी।
काश! देश इसी तरह से तब एकत्र होकर सामने आता जब गोरखपुर में 30 मासूम बच्चो समेत 60 से ज्यादा लोगों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते अपनी जान गवा दी थी, तो शायद हमारा देश असल मायनों में लोकतंत्र को सार्थक करता लेकिन हमारे देश की विडम्बना यही है की मासूम और निर्दोष के साथ होने के बजाये ऐसे इंसान का साथ देते है जिसपर बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के आरोप लगे हुए है।