देहरादून
मंयक ध्यानी की रिपोर्ट
पिछले लगभग दो सालों से उत्तराखंड राज्य सरकार का हैलीकॉप्टर अधिकांश जमीन पर ही धुल फांक रहा है। मुख्यमंत्री अपनी हवाई यात्रा के दौरान इसी चॉपर का प्रयोग करते है। लेकिन पिछले दो सालों से ये हैलीकॉप्टर EC- 135 मरम्मत के नाम पर न तो ज्यादा उड़ा सका है और न ही इतने सालों में इसकी स्थायी मरम्मत ही हो पाई है।
अब सवाल है कि सूबे के मुख्यमंत्री अपनी हवाई यात्रा के दौरान फिर किस हैलीकॉप्टर का उपयोग करते हैं ?
तो इसका उत्तर भी जान लीजिए दरअसल राज्य सरकार ने एक बाहरी एजेंट कंपनी को हैलीकॉप्टर किराये में लेने का कार्य सौंपा है। ये कंपनी कोई हैली सेवा देने वाली कंपनी नहीं है बल्की एक एजेंट कंपनी है, जिसके पास न तो खुद का हैलीकॉप्टर है और न ही उसे चलाने का परमिट। बल्कि ये एजेंट कंपनी किसी तीसरी कंपनी से हैलीकॉप्टर लेकर राज्य सरकार को किराये पर दे रही है।
अब ये बात समझ से परे है कि आखिर राज्य सरकार को किसी हैली सेवा कंपनी से हैलीकॉप्टर लेने के लिए किसी बिचौलिया कंपनी की जरूरत आखिर क्यों पड़ी ?
औऱ ये भी आपको बता दे Ec 135 हैलीकॉप्टर को लगातार उड़ाने लायक बनाये रखने की जिम्मेदारी जिन इंजीनियरों के कंधों पर है, वे इंजीनियर राज्य सरकार से हर महीने लाखों रुपये का वेतन ले रहे हैं। बावजूद इसके क्यों नागरिक उड्डयन विभाग एक बिचौलिया कंपनी के द्वारा ही बाहर से हैलीकॉप्टर किराये पर लेने के लिए मजबूर है ?
लेकिन पिछले दो सालों से सरकारी Ec 135 का रेगुलर न उड़ना कहीं न कहीं यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि कहीं सिर्फ किसी विशेष निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के एवज में तो ये सब नहीं हो रहा है ?
और अगर ऐसा है तो ये राज्य के राजस्व पर गहरी चोट है। जिसकी जांच जल्द से जल्द होनी चाहिए ताकि राज्य के राजस्व को बचाया जा सके और सालों से कमीशनखोरी कर रहे सरकारी मगरमच्छों पर उचित कार्यवाही की जा सके।