सूचना के अधिकार कानून को देश का सबसे बडा हथियार माना गया है, और ये एक बार फिर साबित हो गया है, और इसे साबित कोर्ट के एक फैसले ने किया है।
जी हां उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक फैसले में सूचना के अधिकार कानून की जहां जीत हुई है, तो दूसरी तरफ राज्यसूचना आयुक्त के आदेश की हार हुई है जिससे कहा जा सकता है कि राज्यसूचना आयुक्त के आदेश पर सूचना को अधिकार कानून भारी पडा है।
पूरा मामला आरटीआई कार्यकर्ता से जुडा हुआ जिसमें देहरादून के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता सुरेंद्र अग्रवाल पर राज्यसूचना आयुक्त राजेंद्र कोठियाल ने गुंडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया था, लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता न्यायालय की शरण में पहुंचे और न्यायालय की गुहार लगाई, जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनावई करते राज्यसूचना आयुक्त के आदेश को खारीज करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता सुरेंद्र अग्रवाल का कहना था कि उन्हे उम्मीद थी कि न्याय के मंदिर से उन्हे न्याय मिलेगा। उन्होंने उत्तराखंड हाई कोर्ट का भी आभार व्यक्त किया है।
न्यायालय के इस फैसले पर आरटीआई कार्यकर्ताओ ने खुशी जताई है।