सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान निजता के अधिकार,(राइट टु प्राइवसी) को मौलिक अधिकारों का हिस्सा करार दिया है। कोर्ट ने 7 दिनों की सुनवाई के बाद 2 अगस्त को निजता के अधिकार मामले में फैसला को सुरक्षित रख लिया था।
नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को बदलते हुए कहा कि राइट टु प्राइवेसी फन्डामेंटल राइट्स के अंतर्गत जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है।
दरअसल 1950 में 8 जजों की बेंच और 1962 में 6 जजों की बेंच ने कहा था कि ‘राइट टु प्राइवेसी’ मौलिक अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में सीजेआई जेएस खेहर, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस ऐ0आर बोबडे, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन, जस्टिस अभय मनोगर स्प्रे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं।