त्यौहारों की धरती कहे जाने वाले भारतवर्ष का हर एक त्यौहार अपने आप में अनूठा है। हर त्यौहार की अलग-अलग कहानियां अलग-अलग इतिहास रहा है। वैसे ही कुछ इतिहास रहा है रक्षा बंधन का। रक्षा बंधन शब्द ही अपने आप में सब कुछ बयां कर देता है।
रक्षा बंधन भाई-बहनों का अटूट बंधन, इस बंधन का रिश्ता आज से नहीं बल्कि 6 हजार साल पुराना है, जो रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं के इतिहास से शुरू हुआ। हमारे इतिहास में कई और भी कहानियां हैं जिसमें राखी का महत्व और भाई-बहनों का प्यार संजोया गया है।
रक्षा बंधन का यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को उत्तर भारत में खासकर बड़े ही शानो-शौकत से मनाया जाता है। इसस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई भी अपना कर्तव्य मानकर बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हैं। उत्तरी भारत में इस त्यौहार को खासा रूप से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का त्यौहार इस साल 7 अगस्त को यानि कि कल पड़ रहा है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बाधेंगीं। और उनसे अपनी रक्षा का संकल्प मांगेंगी।
किस घड़ी में बांधे अपने भ्राता को रक्षा सूत्र?
राखी का यह पर्व सावन माहीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह तिथि भद्रकाल से पीड़ित होती है। जिसे शुभ नहीं माना जाता है। और यह माना जाता है कि इस दारान भाई की कलाई में राखी बांधना वर्जित होता है। पंचांग के अनुसार, इस बार राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 7 अगस्त को सुबह 11ः04 बजे से लेकर दोपहर 1ः50 तक होगा।इसके बाद चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। यह चंद्रग्रहण से नौ घंटे पहले लगेगा।
आज पूरे भारतवर्ष की नई पीढ़ी भले ही अपने इतिहास से अनभिग्य हो लेकिन इतिहास से चली आ रही इस परम्परा को वो अच्छे से निभाते चले आ रहे हैं।