यूपीसील में एक ओर घोटाला ?आखिर कैसे होगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति कारगार

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देहरादून:  ऊर्जा विभाग लगता है घपले घोटालों का विभाग बन कर रह गया है। और इस समय विभाग के यूपीसीएल महकमें का ट्रिप रिले की खरीदारी करने में बड़ा झोलझाल किया है। मामला जब प्रकाश में आया तो आनन फानन में महकमे के प्रवन्ध निदेशक बीसीके मिश्रा ने तीन सदस्यों की टीम गठित कर जांच के आदेश दिए।

आपको बतादें की महकमे ने बिजली घरों में लगने वाले उपकरण ट्रिप रिले को खरीदने के लिए एक ख़ास कम्पनी को ही चुना है।और इस कम्पनी से जो ट्रिप रिले खरीदे वो बाज़ार भाव से तक़रीबन डेढ़ गुनी क़ीमत पर ख़रीदा है। जिससे विभाग के नाम में एक और नया घोटाला जुड़ता दिख रहा है। ओर सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिर क्यों यूपीसीएल महकमे ने खरीददारी के लिए एक ही कम्पनी को क्यों चुना ओर क्यों इस से लिये गये ट्रिप रिले को बाजार से अधिक दामो में खरीदा।

जिससे मामले में घोटाले की आंशका ज़ाहिर होती है। कम्पनी मार्केट रेट पर ट्रिप रिले को 23,500 रुपए में बेचती है, जबकि वहीं ट्रिप रिले निगम को कम्पनी ने 36,500 रुपए में बेचती है। एक तरफ मास्टर ट्रिप रिले का मार्केट रेट जहां 3,800 रुपए है, वहीं निगम कम्पनी से यही मास्टर ट्रिप रिले 16,500 रुपए में खरीदती है। ट्रिप रिले के टेस्टिंग और लगाने की क़ीमत कम्पनी बाज़ार में जहाँ 4000 रुपए है, वहीं कम्पनी ने निगम से 10,000 रुपए वसूले। समझा जा सकता है कि इस कम्पनी का एक जैसी ट्रिप रिले के सरकारी भाव और मार्केट भाव में कितना अंतर है ? ट्रिप रिले की ख़रीददारी के खेल में कम्पनी और उर्जा विभाग का यूपीसीएल महकमे की मिली भगत सामने आने के बाद सायद जीरो टॉलरेंस वाली सरकार की नींद भी टूट जाए। गौरतलब है कि इस विभाग का मुखिया खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं । और देखने वाली बात होगी कि जांच के आदेश तो दे दिए लेकिन ये जांच भी पूर्व में हुए मामलो की तरह जांच तक ही सीमित न रहे।

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