प्रकाश रांगड़, देहरादून। आईएएस अधिकारी आर मीनाक्षी सुंदरम से पर्यटन विभाग छिन जाने के बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज व उनके बीच करीबी संबंध को राजनीतिक गलियारों में तोड़ मरोड़ के पेश किए जाने से अफसरों की शिफ्टिंग का मसला फिर गर्मा गया है। इससे एक बार फिर अफसरों की तैनाती और तबादले पर राजनीतिक विश्लेषण की जरूरत आन पड़ी है।आखिर क्या वजह है कि उत्तराखंड अधिकारियों के तबादलने समय से पहले ही किसी भी वक्त कर दिए जाते हैं। क्या अधिकारी विभागीय कामकाज के प्रति इतने लापरवाह और कामचोर हैं कि वो काम को बेहतर तरीके से धरातल पर नहीं उतार पाते। या फिर नेताओं की जुगलबंदी और स्वार्थ के चलते अधिकारियों के तबादले आए दिन किए जाते हैं। उत्तराखंड में हर सरकार में अफसरों की तैनाती और तबादलों का सवाल अहम मुद्दा रहता है। इस बार भी यही हुआ। मुख्य सचिव पद पर उत्पल कुमार सिंह का इस्तकबाल होते ही पांच आईएएस अफसरों को इधर से उधर कर दिया गया। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को उन्हें समझने तक का मौका नहीं दिया। इसमें सबसे अधिक बवाल पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के करीबी माने जाने वाले आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सुंदरम से सचिव, पर्यटन विभाग छीने जाने को लेकर हुआ है। बताया जाता है कि सतपाल महाराज ने स्पेशली सिफारिश करके सुंदरम को पर्यटन की जिम्मेदारी सौंपी थी, क्योंकि सुंदरम सतपाल के पसंदीदा अधिकारी माने जाते हैं।दूसरी बात यह है कि सरकार में अभी तक सतपाल महाराज की एकला चलो वाली रणनीति रही है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या सतपाल की एकला चलो वाली रणनीति को राजनीतिक दृष्टिकोण से अक्षम करने के लिए उनके पसंदीदा अधिकारी को पर्यटन विभाग से हटा दिया गया या फिर आर मीनाक्षी सुंदरम पर्यटन के मुखौटे पर फिट नहीं बैठ रहे थे अर्थात उनका कामकाज बेहद सुस्त प्रणाली वाला था। पर्यटन महकमे का हाल ही में केदारनाथ प्राधिकारण बनाने का गलत निर्णय भी इसका प्रमुख कारण माना जा सकता है। अगर इसमें सतपाल महाराज की बात को तव्वजो दी जाए तो वो मानते हैं कि मीनाक्षी सुंदरम काम के प्रति सजग नहीं थे।जी हां, उन्होंने हैलो उत्तराखंड न्यूज से हुई बातचीत में इस बात को साफतौर पर कहा कि मुख्यमंत्री के स्तर से आर मीनाक्षी सुंदरम को गढ़वाल व कुमाउं मंडल विकास निगम के एकाधिकरण पर्यटन से जुड़े दो से तीन तथा औली स्कीईंग का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट दिया गया था, जिनको समय पर पूरा कर पाने में वह असमर्थ साबित हुए। उनका कहना था कि सरकार को ये प्रोजेक्ट जल्द ही धरातल पर उतरने की उम्मीद थी जो कि नहीं हो पाया।यही वजह रही कि मुख्यमंत्री ने सरकार को वर्ल्ड टूरिज्म सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ने की अपेक्षा के साथ उनसे सचिव पर्यटन का दायित्व छीनकर सक्षम अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपी, अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री का सक्षम अधिकारी पर्यटन को किस दिशा में ले जाता है या फिर उनसे फिर सक्षम अधिकारी को समझने में चूक होती है, और अगर चूक हुई तो फिर से यही थोथी राजनीतिक जुगलबंदी का सवाल सरकार और जनता के सामने आ खड़ा होगा।बहरहाल, ऐसा कब तक चलता रहेगा, उत्तराखंड की ज्योतिष कुंडली में भी शायद ढूंढ पाना मुश्किल मालूम पड़ता है।