देहरादून: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति बनाने वाली सूबे की डबल इंजन सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान अनेक नारे दिए थे जिनमे से एक है ‘न भय न भ्रष्टाचार अबकी बार भाजपा सरकार।’ प्रदेश में भाजपा की सरकार तो सत्ता में विराजमान हो गयी लेकिन भय और भ्रष्टाचार को प्रदेश से भागने में डबल इंजन सरकार फेल होती नजर आ रही है।
ये हम यू ही नहीं कह रहे है बल्कि भाजपा राज में भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले आईएएस आधिकारी को मिली धमकी की वजह से कह रहे है। जी हाँ पूर्ववर्ती सरकार के दौर में सुर्खियां बटोर चुके एनएच 74 घोटाले की जांच करने वाले तत्कालीन कुमाऊं आयुक्त के पद पर तैनात मौजूदा परिवहन सचिव डी.सैंथिल पांडियन को जान से मारने की धमकी मिली है। इस धमकी के बाद पांडियन ने पत्र लिखकर अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार कार्मिक विभाग से लगाई है। गृह विभाग को डी.सेंथिल पांडियन के सुरक्षा की मांग करने वाला पत्र भी मिल गया है। इस बात की पुष्टि सचिव आनंद वर्धन ने की है।
ऐसा माना जा रहा है कि एनएच 74 घोटाले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जिसमें अनुमान लगाया गया था कि ये छोटामोटा नहीं बल्कि करीबन 300 करोड़ का घोटाला है, ये घोटाले का खुलासा करने की वजह से ही पांडियन को ये धमकी मिली है। लिहाजा इस बात की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इस बात से तो कोई अनजान नहीं है कि इस घोटाले में भू माफिया और बड़ी पहुँच वाले कुछ अधिकारी जांच की आंच से बचने के लिए कई तिगडम भिड़ा रहे है जिसमें ये हरकत भी शामिल हो सकती है। सोचने वाली बात है कि जिस प्रदेश के आईएएस अधिकारी ही सुरक्षित नहीं है वहां की जनता कितनी सुरक्षित होगी।
बता दे कि सरकार बनने के तुरंत बाद ही सामने आई जांच रिपोर्ट पर एकदम एक्शन लेते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने एनएच 74 घोटाले मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति दे दी थी लेकिन सूत्रों की माने तो घोटाले की परते खुलने पर कई बड़े नाम भी घोटाले के साथ जुड़ गए थे। जिस वजह से सीबीआई जांच की संस्तुति देने वाली सरकार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और एसआईटी जांच पर आ गई।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का दम भरने वाली सरकार आखिर क्यों सीबीआई की जांच से बच रही है।
पूर्ववर्ती सरकार पर घोटालों का आरोप लगाने वाली डबल इंजन सरकार को तो पूर्व में हुए सभी घोटालों का भांडा फोड़ते हुए जांच करवानी चाहिए थी लेकिन यहाँ तो उजागर हुए घोटाले में भी ढील बरती जा रही है।