रूड़की/देहरादूनः यातायात के नियम सभी के लिए एक समान होते हैं, सभी का चालान भी एक समान होता है। लेकिन बीजेपी राज में यहां कुछ और ही देखने को मिल रहा है। जहां कोतवाल गंगनहर को ही बीजेपी कार्यकर्ता को गिरफ्तार करने पर लाइन हाजिर कर दिया जाता है और उसे पद से हटा कर एसएसपी कार्यालय में अटैच कर दिया जाता है। जिससे नज़र आ रहा है कि साफ जाहिर हो गया है कि बीजेपी राज में पुलिस प्रशासन की कार्यवाही पर कानून का नहीं बल्कि बीजेपी का डंडा चलता है।
दरअसल कल देर शाम सीपीयू ने चैकिंग के दौरान बीजेपी के एक पदाधिकारी नितिन त्यागी के पिता की गाड़ी को रोका। क्योंकि उन्होंने यातायात नियमों का उलंघन किया (गाड़ी चलाते वक्त फोन पर बात कर रहे थे) था। लेकिन गाड़ी रोकने के बाद ही पिता ने बेटे को फोन कर बुला लिया। वहीं मौके पर ही नितिन त्यागी दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गया और सीपीयू पुलिसकर्मियों के साथ बदतमीजी करने लगा। जिसके खिलाफ पुलिस ने नितिन को गिरफ्तार कर लिया गया।
वहीं कोतवाली गंगनहर कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और कोतवाल को हटाने की मांग की। कार्यकर्ताओं को आरोप था कि पुलिस ने नितिन त्यागी पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। जो न्याय संगत नहीं है।
उधर पुलिस ने मामले में गंगनहर कोतवाल को ही पद से हटा कर एसएसपी कार्यालय में अटैच कर दिया।
इस घटना के बाद सवाल यह उठता है कि आखिर क्यूँ कोतवाल को पद से हटा कर एसएसपी कार्यालय में अटैच किया गया?
सवाल यह भी है कि कोई भी यह बताने को तैयार क्यूँ नहीं है कि आखिर कोतवाल ने नितिन पर किन संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था?
जिस प्रकार कोई भी इस बात को बताने को तैयार नहीं है कि किन संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया? उससे शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल ए निशां लगना लाज़मी है।