मंयक ध्यानी
मुख्यमंत्री बड़े साहब होते हैं, उनके साथ फ्लीट चलती है, उनका एक प्रोटोकॉल होता है, वे जगह जगह रुकते नहीं लेकिन इन सारी परंपराओं औऱ व्यवस्थाओं को दरकिनार कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज मानवीय संवेदना का जो उदहारण पेश किया है,उसकी प्रशंसा चारों और हो रही है।
दरअसल, आज भानीवाला में सहकारिता दिवस के एक कार्यक्रम से लौटते हुए मुख्यमंत्री की फ्लीट देहरादून आ रही थी। लेकिन अचानक ही मुख्यमंत्री ने फ्लीट को रोकने का आदेश दे दिया। पहले तो किसी के समझ नहीं आया कि क्या हुआ है। लेकिन जब बाहर आकर देखा तो एक बाईक सवार घायल अवस्था में सड़क के किनारे गिरा हुआ था।
जिसके बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत उस घायल को उठा कर अपनी गाड़ी से जोगीवाला स्थित कैलाश अस्पताल में भर्ती करवाया। मुख्यमंत्री के साथ सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत भी मौजूद थे।
फिलहाल शख्स खतरे से बाहर है और उसका इलाज चल रहा है।
हालांकि यूं तो शासन में बैठा हर व्यक्ति जन सेवक कहा जाता है लेकिन इसकी मिसाल आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस कार्य से दिखी है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खुद को बार बार प्रधान सेवक कहे जाने वाले शब्द की भी गरिमा आज त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऱखी है।
उम्मीद है कि सूबे के मुखिया ने जो आज किया है यह सत्ता में बैठे बाकि लोगों के लिए भी एक नजीर बन सके ताकि जनता को भी ये एहसास हो कि जब मदद के लिए कोई नहीं आएगा तो उसका जन प्रतिनिधि आकर अपने हाथों से उसकी मदद करेगा।
गाड़ी से लाल बत्ती हटवा देने से ही सिर्फ जन औऱ जन सेवक के बीच बराबरी का भाव नहीं पैदा किया जा सकता बल्कि जरूरत के समय अपनी जनता के साथ खड़ा होना ही आपकी सच्ची प्रतिष्ठा का प्रतीक है। जिसकी मिसाल आज देखने को मिली है।
{हैलो उत्तराखंड न्यूज त्रिवेंद्र सिहं रावत की इस संवेदनशीलता के लिए खुले दिल से उनकी तारीफ करता है}