प्रदेश में लगातार हो रहे कृषकों की आत्महत्या की घटनाएं काफी चिंताजन हैं। यदि हमारे प्रदेश के किसान इसी प्रकार किसी दबाव में आकर या अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान होकर इस प्रकार के कदम उठाते रहे तो हमारे प्रदेश में न खेती करने वाले कृषक रहेंगें और ना ही हम जीवित बच पायेंगें। एक तरफ तो औद्योगिक क्षेत्र की बढ़ती तादादी ने पहले ही हमारे कृषकों के हाथ बांध दिए हैं और दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या के कारण हमारे खेत-खलियानों में अब बड़ी-बड़ी कोठियां बन रहीं हैं। जिससे किसानों की आर्थिकी में कमी तो आई ही है, लेकिन किसानों की संख्या में भी कमी आई है। कई ऐसे किसान हैं जो अपने पारम्परिक काम को छोड़कर ध्याडी-मजदूरी करने को विवश हो चुके हैं।
राज्य सरकार से कुछ बेहद प्रोत्साहन न मिल पाने के कारण और बिचौलियों के बीच किसान पिस चुका है। आज हजारों किसानों के कंधो पर कर्ज है और यहां तक कि उनका कर्ज इतना बढ़ चुका है कि उनकी आने वाली दो पीढ़ियों को भी वो कर्ज चुकाना पड़ेगा। ऐसे में किसान बेहद ही हताश हो चुका है।
उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों का कर्जा तो माफ कर दिया है। लेकिन उत्तराखंड सरकार बजट के कारण अभी तक किसानों के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठा पाई है। लेकिन अब त्रिवेंद्र सरकार का कहना हा कि हम इस मुद्दे पर सकारात्मक रूख अपनाने जा रहे है।
किसानों के लिए त्रिवेंद्र सरकार की नई पॉलिशीः
हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि सरकार के 100 दिन में सरकार ने किसानों के लिए 100 निर्णय लिए हैं। जिसमें खेती में लगने वाली कीमत कम कैंसे कम की जाए, उनके लिए नर्सरी, किस प्रकार उत्पाद बेहत्तर बनाया जाए आदि मुद्दों पर काम किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम किसानों के लिए ऑर्गेनिक एर्गीकल्चर एक्ट और बाजार में 5 नई मंडियां लाने जा रहे हैं। जिससे कृषकों और ग्राहकों के बीच जितने भी बिचौलियां हैं उन पर लगाम लगाई जा सके। वहीं उन्होंने कहा कि जल्द ही हम कोल्ड स्टोर भी खोलने जा रहे हैं जो धीरे-धीरे पूरे प्रदेश भर में खोली जायेंगें।
वहीं उनका कहना है कि किसानों पर कर्ज़ का बोझ बढ़ने की बड़ी वजह बैंकों की लापरवाही है, एक ही ज़मीन पर साल दर साल अलग अलग बैंकों ने फ़सल ऋण दिए है। इसकी वजह से किसान पर कर्ज़ कई गुना हो गया।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने हाल ही में हुई पिथौरागढ़ और खटीमा के किसानों के उदाहरण देते हुए कहा कि जब किसान ने एक साल ऋण नहीं चुकाया था तो उसे अगले साल ऋण कैसे दिया गया। बैंक बिना किसी मानक के किसानों को लोन दे रहे हैं। और एक ही किसान को दो-दो-तीन-तीन लोन दिए गए हैं। जिससे किसानों को वह लोन भारी पड़ जा रहा है।
वहीं जब हैलो उत्तराखंड की टीम ने पंजाब नेशनल बैंक सर्किल हैड काशीपुर अनिल कुमार सचदेवा से पूछा कि क्या बैंक एक ही व्यक्ति को दो लोन दे सकता है वो भी जब उक्त व्यक्ति ने पहले लोन की किस्ते नहीं चुकाई हैं तो उन्होंने सवाल का टालमटोल जवाब देते हुए कहा कि यदि एक ही व्यक्ति दो अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेता है तो उसे लोन दिया जा सकता है। यदि लोन न दिया जाए तब भी बैंकों के उपर प्रैशर बनाया जाता है। और बैंक लोन किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए ही तो आर्थिक मदद देता है।
हमारा देश कृषि प्रधान देश है लेकिन अब कई ऐसे कृषक हैं जो मुनाफा ना होने पर अपना व्यवसास छोड़ चुके हैं। व भारी मात्रा में कई ऐसे किसाना हैं जो 2-3 लोन और बड़े-बड़े साहोकारों और जमींदारों के कर्ज के तले ही दबे हैं और जिससे वे लोग बेबस होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में केवल दो ही माह में कर्ज में डूबे तीन किसान आत्महत्या कर चुके हैं।