बसंती बिष्ट को मिला राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान- जागर को दी नई ऊंच्चाई

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गढ़वाल का सूफी संगीत यानी जागर को बसंती बिष्ट ने न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी सम्मान दिलाया है। इसी के चलते एक बार फिर से बंसती बिष्ट ने उत्तराखंड का नाम देश में रोशन किया है।

बसंती बिष्ट को मध्यप्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान 2016-17 से सम्मानित किया है। यह सम्मान उत्तराखंड की लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए छह जून को भोपाल में प्रदेश सरकार ने दिया। बता  दें कि इस सम्मान में दो लाख रुपये की प्रोत्साहन राशी दी जाती है।

पद्मश्री और तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित बसंती बिष्ट को स्थानीय देवी देवताओं के जागरों के पारंपरिक गायन में महारथ हासिल है। यही नहीं पहाड़ के देवी नंदा और शिव विवाह सहित अन्य कई देवताओं के पारंपरिक तौर पर गाए जाने वाले जागरों के संरक्षण के लिए भी बसंती बिष्ट ने काम किया है।

जब हमारे द्वारा बसंती बिष्ट से बात की गई तो उन्होनें अपने इस सम्मान को देवी देवता का आशीर्वाद बताते हुए, इसे उत्तराखंड का गौरव बताया। उन्होनें बताया कि भोपाल में उन्होनें गंगा को स्वच्छ रखने के लिए लोगों से गीत के माध्यम से अपील भी की ।

जिसे वहां के लोगों की काफी सराहना मिली। उन्होनें बताया कि यह पुरस्कार पाने वाली इस साल की वह एकमात्र उत्तराखंडी महिला है। जागर को देश विदेश में एक महिला की आवाज से लगातार फैलाया जा रहा है। जिसके लिए बंसती बिष्ट के जज्बे को सलाम है।

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