उत्तराखंड फिल्म जगत में आज रात 12 बजे का समय इतिहास में बड़े शान से लिखा जाना चाहिए। क्यूंकि उत्तराखंड की पहली फिल्म सुबेरो घाम ने वह कर दिखाया जो आज तक इन सोल्ह सालों में कोई भी फिल्म नहीं कर पाई है। ‘‘ सुबेरो घाम‘‘ उत्तराखंडी फिल्म वह पहली फिल्म है जो विदेश में भी प्रचलित हो चुकी है और जिसे कैनेडा फिल्म फैस्टिवल में जगह मिली।
उत्तराखंड की प्रसिद्ध अदाकारा व लेखिका उर्मी नेगी द्वारा 2015 में बनाई गई सुबेरो घाम को वो उंचाईयां मिल चुकी हैं कि इसके चर्चे अब मात्र उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि देश-विदेशों में भी होने लगे हैं। देश-विदेश में भी इस फिल्म को काफी सरहाना मिल रही है।
उर्मी नेगी ने हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए कहा कि इस फिल्म को बिना राज्य सरकार की मदद के इतने बड़े पर्दे पर जगह मिली है । जो उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धी है। उनकी मैनेजर शांता कोचन बताती हैं कि उर्मी नेगी जी कनाड़ा में मिली सफलता के बाद अब न्यूजिलैंड, लंदन, फ्रांस में भी प्रदर्शित करने वाली हैं, लेकिन अभी फिल्म डव होने में समय लगेगा। गौरतलब है कि इससे पहले उर्मी यह फिल्म सिंगापुर में भी प्रदर्शित कर चुकी हैं।
आपको बता दें कि यह फिल्म एक मात्र फिल्म है जो उत्तराखंड सिनेमा जगत में विदेश में प्रदर्शित की जा चुकी है। शांता कोचन बताती हैं कि कनाड़ा में दिखाई गई इस फिल्म को अंग्रेजी सबटाईटल में भी दर्शाया गया, जिसे भारतीयों के साथ- साथ वहां के निवासियों ने भी खूब पसंद किया। शांता आगे बताती हैं कि भारतीय इस फिल्म को देखकर तो भावुक हुए ही, लेकिन अंग्रेज भी इस फिल्म को देखते समय भावुक हो गए थे।
वहीं मोहन काला एक्जिक्यूटिव डायरैक्टर – शेयरोन बायोटेक लिमिटेड ने हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए कहा कि यह उत्तराखंड के लिए गौरान्वित दिन है। और इस फिल्म का कनाड़ा फिल्म फैस्टिवल में सलैक्ट होना बड़ी बात है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जिस फिल्म को उत्तराखंड की सरकार ने उत्तराखंडी फिल्म होते हुए भी कर मुक्त नहीं किया, वहीं इसी फिल्म को इतनी बड़ी सफलता मिली है। साथ ही उन्होंने कहा कि गढ़वाली फिल्मों के साथ हमारी राज्य सरकार हमेशा से अन्याय करती आई है । जिसके खिलाफ हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगें। हालांकि अब नई सरकार से उन्हें काफी उम्मीदें हैं।
सरकार द्वारा लगातार गढ़वाली फिल्मों के प्रति अपनाई जा रही बेरूखी पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों की सरकार अपनी संस्कृति व अपनी बोली-भाषा में बनाई जाने वाली फिल्मों को प्रमोट करते हैं लेकिन उत्तराखंड की बॉलीवुड की फिल्मों को कर मुक्त कर सकती है लेकिन उत्तराखंडी फिल्मों को नहीं। जो काफी दुर्भाग्य पूर्ण बात है।
गौरतलब है कि यह उत्तराखंडी सिनेमा जगत की पहली फिल्म है जो विदेशों में भी प्रदर्शित हुई है।
हम आपको बता दें कि इस फिल्म को उर्मी नेगी ने अकेले अपने दम पर ही फाईनेंस किया है. और देश-विदेशों में भी बिना किसी की आर्थिक सहायता के ही फिल्म को इस मुकाम तक पहुँचाया है। इस फिल्म में बलराज नेगी, घन्नानंद, बलदेव राणा आदि ने अपनी अहम भूमिका निभाई है।