विवादों और घोटालों से नाता रखने वाले पिटकुल विभाग का एक और कारनामा सामने आया है। जिसमे केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पैसों की बंदरबाट करने की पूरी तैयारी पिटकुल विभाग ने कर रखी थी। विभाग के नामचीन चीफ इंजिनियर अनिल कुमार ने बिना-जांचे परखे ही टेंडर का अनुबंध कैसे कर दिया..आइये आपको समझाते है क्या है पूरा मामला…
पॉवर कारपोरेशन ने प्रतिस्थापन के लिए उपयोग होने वाली सामग्री की आपूर्ति हेतू इशान इंटरप्राइजेज, वैनसन इलेक्ट्रिक और सि0टी0आर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को संयुक्त टेंडर वर्ष 2016 में लगभग 31.17 करोड़ का दिया था।
टेंडर के तहत ख़रीदे जाने वाले सामान की दुगनी कीमत वसूलने के लिए पिटकुल विभाग को इशान इंटरप्राइजेज ने 3 विभिन्न उपकरण बेचे जिनका बिल 1.51 करोड़ रुपये बना। जबकि उपकरणों की असल कीमत आधी से भी कम है।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब हैलो उत्तराखंड के हाथ वो बिल लगाजिसमे इशान इंटरप्राइजेज ने उक्त सामान वैनसन इलेक्ट्रिक से 68.95 लाख रुपये में ख़रीदा है, खरीद की तारिक 21 जुलाई 2016 है और इसी ख़रीदे गये उपकरणों को 1.51 करोड़ रुपये में पिटकुल विभाग को बेच दिया।
अब सवाल ये पैदा होता है की आधे से भी ज्यादा का मुनाफा लेकर पिटकूल विभाग को बेचे गये इन सामानों की असल कीमत से क्या सच में पिटकूल विभाग अनजान है।
टेंडर के दौरान इसका ख्याल क्यों नही रखा गया की किन कीमतों में सामान बाजार में उपलब्ध है और किन कीमतों पर पिटकुल इन सामन की खरीद करने जा रहा है?
ट्रांसमिशन लाइन के लिए ख़रीदे जाने वाले पैनल, और अन्य सामान की खरीद तो पिटकूल हमेशा ही करता है तो आखिर क्यों इतने ज्यादा कीमत पर टेंडर अनुबंध किया गया?
अनिल कुमार पिटकूल के कॉन्ट्रैक्ट एंड प्रोक्योरमेंट आधिकारी थे लेकिन क्या इस अनुबंध के समय आधिकारी ने अपनी आँखे मुंध रखी थी या कमीशन लेने के लिए अनिल कुमार ने ये टेंडर उक्त रेट में उक्त कंपनीयों को दे दिया?
आई0एन0पी ट्रांसफार्मर घोटाले में अनिल कुमार की संलिप्तता पाए जाने के बाद अनिल कुमार को कॉन्ट्रैक्ट एंड प्रोक्योरमेंट से हटा दिया गया था लेकिन ये अनुबंध 2016 में ही किया गया था तो इसमें घोटाला होना तो लाजमी ही है।
और इतने ज्यादा मुनाफाखोरी से तो लगता है की टेंडर के तहत जो कार्य सौंपा गया है उसकी असल कीमत मात्र 15 करोड़ ही होगी। अगर ऐसा है तो आखिर ये 15 करोड़ के झोल में पिटकूल विभाग के कितने आधिकारी शामिल है और कितने आधिकारियों को ये झोल का पैसा बाटा जायेगा?