देहरादून: सीएम आवास में बुधवार को उत्तराखण्ड सरकार और इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ पेट्रोलियम (आईआईपी) के बीच पिरूल से तारपिन आॅयल और उसके कचरे से बाॅयोफ्यूल तैयार करने पर सैद्धांतिक सहमति बन गयी है।
पिरूल से तारपिन आॅयल बनाने के लिए आगामी दिनों में एमओयू भी साइन किया जायेगा। जिसके तहत राज्य के आठ पहाड़ी जिलों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, टिहरी और उत्तरकाशी में पिरूल के कलेक्शन सेंटर स्थापित किये जायेंगे। साथ ही पिरूल एकत्रित करने वालों को इंसेंटिव भी दिया जायेगा।
सेंटर के प्रारम्भिक चरण में प्रतिदिन 40 टन पाइन निडिल की आवश्यकता पड़ेगी। जिसे पंचायतों और गांवों से खरीदा जायेगा। इससे जहां सरकार को राजस्व प्राप्त होगा, वहीं स्थानीय लोगों को बेहतर रोजगार भी मिलेगा। उद्योगपति महेश मर्चेन्ट ने बताया कि इसके लिये शीशमबाड़ा में प्लान्ट बनाना प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुई इस सैद्धांतिक सहमति के दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड स्टेट सेन्टर फाॅर पब्लिक एंड गुड गवर्नेन्स उमाकांत पंवार, सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा भी उपस्थित रहे।