कांग्रेस के दिग्गजों के बीच की तल्खिया किसी से छुपी नही है, समय-समय पर उजागर होती कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं में सामंजस्य की कमी की वजह से २०१७ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के हाथों पटकनी खाई थी। प्रदेश में केवल ११ सीटों में सिमटी कांग्रेस इन दूरियों को पाटने कि कोशिश करती नही दिख रही है।
कांग्रेस के दिग्गजों में शुमार किशोर उपाध्याय पार्टी से अलग-थलग नजर जा रहे हैं। गुरुवार को संयुक्त विपक्ष की राष्ट्रपति पद उम्मीदवार मीरा कुमार देहरादून आईं थी। लेकिन हैरत की बात यह है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय वहां आये जरूर लेकिन मीरा कुमार को पुष्पगुच्छ देकर चलते बने परन्तु प्रेस-वार्ता में शामिल नही हुए।
जब हैलो उत्तराखंड ने किशोर उपाध्याय से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें मीरा कुमार के कार्यक्रम में भाग लेने का अधिकृत सन्देश नहीं दिया गया था इसलिए वह प्रेस वार्ता में शामिल नही हुए।
इसके बाद इस मसले पर हैलो उत्तराखंड ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से बात कि जिस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता होने और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते किशोर को प्रेस वार्ता में उपस्थित होना चाहिए था। किशोर उपाध्याय को न बुलाये जाने पर प्रीतम का कहना है कि किशोर को हर कार्यक्रम में हमेशा निमंत्रित किया जाता है, अगर इस बार उन्हें बुलाया नही भी गया था तो फिर भी उन्हें आखबारों में आई सूचना देखकर प्रेस कांफ्रेंस का हिस्सा बनना चाहिए था। साथ ही प्रीतम सिंह ने कहा कि “रूठने वाली आदत कांग्रेस वालो को छोड़ देनी चाहिए, ये कोई लड़ने का समय नही है”।
वही पूर्व मंत्री इंद्रा हृदयेश ने जब हैलो उत्तराखंड से बात की तो उन्होंने पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष ने सबको कॉल करके बुलाया था इसलिए उन्हें न बुलाने कि तो बात ही नही उठती। किशोर को कही जाना था इसलिए वो वहा से चले गए। बहरहाल पार्टी प्रदेश अध्यक्ष ने ऐसा कोई बयान ही नही दिया है, इससे पता चलता है कि पार्टी के लिए और पार्टी के बचाव के लिए पूर्व वित्त मंत्री कितनी समर्पित है।
इन सब बयानों के बाद जब फिर हैलो उत्तराखंड ने किशोर उपाध्याय से बात कि तो, इंद्रा हृदयेश के बयान का खंडन करते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा कि “उन्हें न कोई फ़ोन आया था न ही प्रेस वार्ता कि कोई सुचना दी गयी थी, बस आखरी समय में प्रदेश सह-प्रभारी संजय कपूर ने राष्ट्रपति उम्मीदवार आने कि जानकारी दी जिसकी वजह से में पुष्प-गुच्छ भेट करने चला गए थे लेकिन वहा पहुँचने पर भी मुझे प्रेस वार्ता में शामिल होने के लिए नही कहा गया, इसी वजह से में वह से निकाल आया” साथ ही किशोर उपाध्याय ने कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी किशोरे उपाध्याय का अपमान कर आगे बढ़ सकती है तो किशोर ऐसे हजारो अपमान सहने के लिए उपस्थित है।
2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के कुछ ही दिन बाद पार्टी की कमान चकराता के विधायक और पूर्व में मंत्री रहे प्रीतम सिंह को सौंप दी। उसके बाद से ही किशोर उपाध्याय की नजरअंदाजगी पार्टी में शुरू हो गयी। चाहे मसला रूठने का हो या कार्यकर्मो में निमंत्रित न करने का इसे सुलझाना तो पार्टी कार्यकर्ताओं को साथ में ही पड़ेगा।
२०१७ में मिली करारी हार के बाद जहा कांग्रेस को बूत स्तर पर पार्टी कि मजबूती के लिए काम करना चाहिए, ऐसे दौर में पार्टी कार्यकर्ता अपने आपसी गिले-शिकवे लेकर बैठे है। अगर कांग्रेस वक़्त रहते कांग्रेस ने इन्हें दूर कर अपने कुनबे के सभी कार्यकर्ताओं को समेट कर एक साथ नही रखा तो कही आगामी चुनावी में कांग्रेस का उत्तरखंड से सूपड़ा साफ़ न हो जाये, इस बात की ओर कांग्रेस को गौर फरमाना चाहिए।