मोदी सरकार ने वीआईपी कल्चर के खिलाफ बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। जिसके बाद आने वाले एक मई यानी कि मजदूर दिवस के दिन से देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश समेत कोई भी लाल बत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा।
मोदी कैबिनेट द्वारा एक मई से लालबत्ती की व्यवस्था को समाप्त करने के ऐलान के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों ने भी लालबत्ती से तौबा कर ली है।
केंद्रीय कैबिनेट के फैसले की जानकारी मिलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने सरकारी वाहन पर लगी लाल बत्ती उतार दी। इसके बाद प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पंत, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने भी लाल बत्ती को टाटा बाय बाय बोल दिया।
सहकारिता राज्यमंत्री डॉ. धन सिंह ने रावत औऱ शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने भी इस फैसले के बाद खुद को लालबत्ती से दूर कर दिया।
मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब किसी को भी लाल बत्ती नहीं दी जाएगी। केवल आपातकालीन वाहनों को नीली बत्ती इस्तेमाल की अनुमति होगी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- काफी वक्त से सड़क परिवहन मंत्रालय में इस मुद्दे पर काम चल रहा था. इससे पहले पीएमओ ने इसपर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी. यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय में लगभग डेढ़ साल से लंबित था. इस दौरान पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी. इसमें विकल्प दिया गया था कि संवैधानिक पदों पर बैठे 5 लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो. इन पांच में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हों, हालांकि पीएम ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला किया.