पूर्णिमा मिश्रा, देहरादून। राज्य में बीजेपी के सत्ता पर काबिज होते ही उत्तराखंड राज्य के सीएम के तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुना गया। सत्ता पर बैठने के दूसरे ही दिन सीएम त्रिवेंद्र ने वार्ता कर सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि सभी फोन कॉल्स का जवाब दें। लेकिन यह निर्देश अधिकारियों को मायने नहीं रखते।
जी हां सीएम ने तो निर्देश दिए लेकिन उन निर्देशों का किन्हीं अधिकारियों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
दरअसल हैलो उत्तराखंड न्यूज ने आज तक जितनी बार भी खबर की पुष्टि के लिए व किसी खबर पर उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए जब भी कॉल किया है, तब इन अधिकारियों के फोन कई बार घनघनाते रहे हैं लेकिन फोन उठाने तक की जहमत नहीं की जाती। हर बार की तरह फोन नहीं उठाए जाते, या फिर एक आद बार जब भी फोन उठाया जाता है तो उनके पीए की तरफ से जवाब मिलता है कि सरजी तो अभी मीटिंग में हैं।
हम आपको बता दें कि इस लिस्ट में कुछ जाने पहचाने डीएम, और कुछ विभागों के सचिव- उपसचिव प्रमुख रूप से शामिल हैं।
अब आप ही सोचिए जब ये अधिकारी पत्रकारों के ही फोन नहीं उठाते तो भला ये लोग आम जन की समस्या को कहां से और कैसे सुनेंगे?
चलिए सवाल यह भी नहीं मानते कि ये पत्रकारों के फोन नहीं उठाते, लेकिन बड़ा सवाल तो यह है कि क्या इनके लिए सूबे के सीएम का बयान और निर्देश मायने नहीं रखता?
इससे तो साफ है कि सीएम का निर्देश इन अधिकारी व मंत्रियों के लिए कोई मायने नहीं रखता। ये तो सिर्फ अपनी मन-मर्जी के मालिक हैं!