बिहार: बिहार के बहुचर्चित केस में बुधवार को पटना हाईकोर्ट ने आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरक़रार रखा है। काेर्ट ने शहाबुद्दीन के अलावा राजकुमार साह, मुन्ना मियां और शेख असलम की उम्रकैद की सजा भी बरकरार रखी है।
बता दे कि तेजाब कांड में जान गंवाने वाले युवकों की मां कलावती देवी ने 16 अगस्त 2004 को सीवान के थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। सिवान विशेष कोर्ट ने 11 दिसंबर 2015 को तेजाब हत्याकांड में फैसला सुनाते हुए मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजकुमार साह, मुन्ना मियां और शेख असलम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उम्रकैद की सजा से राहत पाने के लिए आरजेडी पूर्व नेता शहाबुद्दीन ने हाईकोर्ट में गुहार लगाईं लेकिन हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा को बरक़रार रखा।
जाने क्या है तेजाब कांड? 16 अगस्त 2004 को बिहार के सीवान के कारोबारी चंदा बाबू जमीन विवाद के निपटारे के लिए पंचायत गए थे। लेकिन पंचायत में उनके साथ मारपीट हुई। विवाद बढ़ता देख चंदा बाबू अपने घर लौट आए और पत्नी और बेटों के साथ शहर छोड़ कहीं जाने लगे तभी वहां कुछ बदमाश आ गए। बदमाशों से बचने के लिए चंदा बाबू ने घर में रखे तेजाब को बदमाशों पर फेंककर अपनी और अपने परिवार की जान बचाई थी।
आरोप है कि उसी शाम चंदा बाबू के दोनों बेटों गिरीश राज उर्फ निक्कू और सतीश राज उर्फ सोनू को कुछ लोगों ने अगवा कर लिया और सीवान शहर के चौराहे पर दोनों पर तेजाब डालकर उनकी हत्या कर दी। इसके बाद 16 जून 2014 को सीवान के डीएवी कॉलेज मोड़ पर चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव रौशन की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी।