आपको बता दें कि हैलो उत्तराखण्ड की टीम ने आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से कैबिनेट मंत्रियों की उडान के संदर्भ में जब पूछा तो उनका जबाब कुछ यूॅ था ( पहाडों पर सिंगल इंजन महफूज है, डबल इंजन मैदानी क्षेत्र के लिए सही होता हैं)।
हरीश रावत को कौन बताए कि यूकाडा ने जैसे मौजूदा सरकार को धोखे में रखा है वैसे ही उन्होने हरीश सरकार को भी धोखे में रखा था जिसमें कैबिनेट मंत्रियों की उडान योजना हो या राज्य के लिए रिजनल कनेक्टीविटी के मानक हों, फर्जी प्रमाण पत्र हों या बिना टेंडर/एलओआई हेमकुंड साहिब का उडान भरने की अनुमति, केदार घाटी में आवासीय जमीन की अनुमति के बावजूद हैलीपैड बनाने की स्पेशल अनुमति हो या मुरारी बापू के लिए निजी कंपनियों को स्पेशल दो हैलीकाप्टरों की अनुमति द्वारा 11600 रू प्रति टिकट वसूलने की जानकारी हो तब भी यूकाडा ज्यों की त्यों है ।
हरीश रावत अगर एमएचए और डीजीसीए के मानकों को देखें तो उसमें मुख्यमंत्री और जितने भी राज्य कैबिनेट मंत्री हैं, उन सबको वीआईपी की श्रेणी में एमएचए (केन्द्रीय गृह मंत्रालय) और डीजीसीए ने 2009 से ही रखा है। जिसके चलते इन वीआईपीयों को डबल इंजन में ही उडान भरने की अनुमति है जबकि यूकाडा पिछले कई सालों से इन मंत्रियों को सिंगल इंजन में ही उड़ाती आ रही है। जिससे ना कि एमएचए के गाइड लाइनस की बल्कि डीजीसीए के मानकों की भी धज्जियां उड रही हैं।
अतः राज्य सरकार को जल्द से जल्द इन गंभीर मुद्दों पर संज्ञान लेना चाहिए ताकि भावी समय में कोई ऐसी अप्रिय घटना ना घटे जिसके लिए केवल यूकाडा को ही जिम्मेदार ठहराया जाए।