देहरादून: प्रचंड मोदी लहर के बाद उत्तराखंड राज्य की जनता को आस थी कि अब बीजेपी सरकार उनके सपनों को पूरा करेगी। लेकिन डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी अभिभावक अपने आप को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं।
इसी की बानगी हमें तब देखने को मिली जब इसी डबल इंजन की सरकार ने लाखों अभिभावकों की उम्मीदें तोड़ी हैं। केन्द्र सरकार की बेरूखी से प्रदेश भर के 1 लाख 5 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
दरअसल मामला यह है कि आरटीई राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत जिन छात्रों के दाखिले प्राइवेट स्कूलों में हुए हैं, उनकी फीस के लिए केन्द्र सरकार ने दो साल से बजट ही जारी नहीं किया है जिसका बजट लगभग 2 करोड 10 लाख का हैं।
वहीं प्राइवेट प्रधानार्चाय,एसो-अध्यक्ष, प्रेम कश्यप ने हैलो उत्तराखंड न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार इस ओर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है जिसके कारण प्रदेश भर के प्राइवेट स्कूलों में दाखिला पाए छात्रों को पढ़ाने में स्कूल असमर्थ है। बैंकों से लोन लेकर ही शिक्षकों की फीस अदा की जा रही है। स्कूलों का साफ तौर पर कहना है कि यदि ऐसा चलता रहा तो वो अगले शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में आरटीई एक्ट के तहत छात्रों को एडमिशन नहीं देंगें।
उधर शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय का कहना है कि केन्द्र को इस समस्या से अवगत करवाया जा चुका है और इस मसले में आगामी दो-चार दिनों में सचिव स्तर की वार्ता कर मामले में निष्कर्ष निकाला जायेगा।
प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन सरकार तब भी इन छात्रों की जिम्मेदारी नहीं उठा पा रही है, जिसके कारण 1 लाख 5 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।