आज बजट सत्र में पहली बार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खड़े हुए औऱ कई फैसले ले डाले। फैसले भी ऐसे की ठेकेदार से लेकर विधायक तक सबको खुश कर दिया। दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार ने पहले विधायकों के लिए विधायक निधि को बढ़ाकर दो करोड़ पच्चतर लाख रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ पच्चतर लाख रुपये कर दिया ।
यानी सरकार ने ये उम्मीद जताई कि अब हर विधायक अपने क्षेत्र में पहले से ज्यादा काम करवा पाएगा। दूसरा बड़ा फैसला लेते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने सभी उत्तराखंड के ठेकेदारों की पौबारह करते हुए पांच करोड़ तक के सभी टेंडर प्रदेश के मूल ठेकेदारों को देने का फैसला लिया है।
हालांकि इन दोनों फैसलों को जनता के हित में देखा जा रहा है। लेकिन इन फैसलों पर कुछ सवाल भी दिमाग को कौंध रहे हैं। जैसे यह बात किससे छिपी है कि विधायक निधि अधिकतर नेताओं की पूरी खर्च तक नहीं हो पाती है औऱ जो खर्च होती भी है उसमें भी कई सवाल विधायक जी पर उठ जाते हैं। तो ऐसे में विधायक निधि बढ़ाना अच्छा कदम तो माना जा सकता है लेकिन जनता को इसका फायदा होगा इसमें संशय है।
अब 5 करोड़ तक के टेंडर को प्रदेश के मूल ठेकेदारों को देने का फैसला लिया गया। हालांकि फैसला अच्छा है लेकिन क्या ठेकेदार के उत्तराखंडी होने से प्रदेश की आम जनता को रोजगार मिल जाएगा, यह बड़ा सवाल है। प्रेदेश सरकार उत्तराखंडी ठेकेदारों को कमाने के अवसर देने में आम आदमी का भला कैसे सोच रही है,इस बात को समझना अभी बाकी है।
खैर, त्रिवेंद्र सिंह रावत के इन फैसलों के बाद बस यहीं उम्मीद की जानी चाहिए कि विधायक निधि में बढ़ाया गया 1 करोड़ जनता के हितों में लगेगा। वहीं टेंडर पाने वाले ठेकेदार भी उत्तराखडीं युवाओं को रोजगार प्रदान करने के साथ अपने राज्य के लिए वफादारी दिखाते हुए ईमानदारी से काम करेंगे।