ठेकेदारों के आगे नतमस्तक हुआ उरेडा विभाग

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पिछले कई सालों से केदारनाथ धाम जगमगाने के सपने साथ, साल दर साल इंतजार कर रहा है। लेकिन जिन कंधों पर केदारधाम को रोशन करने की जिम्मेदारी शासन ने डाली थी, उन कंधों ने आज जैसे जवाब देना शुरू कर दिया है।  शासन ने लगभग सवा दो करोड़ की धनराशि उरेडा विभाग को 200 किलो वाट बिजली बनाने के लिए दी थी।

जिसके बाद 2012 में रूड़की की एक कंपनी को उरेडा विभाग ने यह काम सौंपा था लेकिन 2013 आपदा के बाद अपना नुकसान बता कर यह कंपनी  परियोजना का कार्य अधर में ही छोड़ कर चली गई।

जिसके बाद उरेडा विभाग द्वारा 2015 में निम (नेहरु पर्वता रोहण सस्थान )को सिविल कार्य का ठेका दिया गया। जिसके लिए करीब 99 लाख रुपये का भुगतान भी निम को कर दिया गया।

जिसको लगभग मई 2016 में पूरा होना था। लेकिन अब तक ये योजना न तो केदारनाम धाम में उतर पाई है औऱ न ही अभी तक इसकी कोई उम्मीद ही दिख रही है। जल विद्धत की इस परियोजना पर हो रही लापरवाही के मुद्दे को मुखरता के साथ उठा रहे केदारनाथ विधायक मनोज रावत से जब हैलो उत्तराखंड न्यूज ने बात की तो मनोज रावत ने स्पष्ट रूप से उरेडा विभाग के साथ साथ ठेकेदार निम की भी उदासीनता बताते हुए विभाग को ही दोषी माना।

उनका कहना है कि उरेडा विभाग इस योजना को पूरा करने के लिए क्यों ठेकेदार निम पर दबाव नहीं बना पाया है। साथ ही इस परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने को लेकर भी उन्होने विभाग को कहा है। लेकिन ये बात साफ निकलकर सामने आ रही है कि विभाग निम ठेकेदार पर उचित समय में कार्य पूरा करने को लेकर कोई दबाव नहीं बना पा रहा है।

हालांकि उरेड़ा  के निर्देशक ए.के त्यागी से जब हमने काम में देरी की वजह पूछी तो उनका कहना है कि निम ये कार्य पिछले साल आक्टूबर में पूरा कर चुका था, जिसके बाद बर्फ पड़ जाने के कारण टेस्टिंग नहीं हो पाई और जब टेस्टिंग हुई तो पता चला कि कुछ टयूब लीक कर रही है, जिसे नई लगाने के निर्देश दे दिये है। यह काम 15 जून तक पूरा कर दिया जाएगा।

ये जल विद्धत परियोजना केदारनाथ धाम और केदार घाटी के गांवों को रोशनी देने के लिए एक बड़ी महत्तवकांक्षी योजना है, जिसके पूरा होने के बाद केदार धाम में बिजली की समस्या से काफी हद तक निजात मिल जाएगी।

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