सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक पर मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीन तलाक पर 6 महीने के लिए रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायधीश जे.एस. खेहर के नेतृत्व में 5 जजों की पीठ ने अपना फैसला सुनाया है। पांच सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर थे।
5 में से 3 जजों ने कहा है कि तीन तलाक असंवैैैधानिक है। साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार संसद में तीन तलाक को लेकर कानून बनाए। संसद जब तक इस पर कानून नहीं लाती तब तक ट्रिपल तलाक पर रोक रहेगी।
कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वह कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है?
दरअसल मार्च, 2016 में उतराखंड की शायरा बानो नामक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाक, हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की थी। बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी है।शायरा का तर्क था कि तीन तलाक न तो इस्लाम का हिस्सा है और न ही आस्था।