बातें जब अलग है तो जाहिर सी बात है कि विचारधारा भी अलग होगी औऱ जब विचार धारा अलग है तो यानी नीयत भी अलग है तो फिर जिनकी नीयत देश के लिए उनकी बातों में रात 9 बजे के प्राईम टाईम में दिखती है वो नीयत फिर इन तस्वीरों में क्यों नजर नहीं आती ।
देश के लिए टीवी पर कैमरे के सामने कोई देशभक्त बन जाता है तो किसी पर देशद्रोह के आरोप तक लगा दिये जाते हैं। उस शो को देखने वाली जनता ये मान बैठती है कि देश के ताज कश्मीर के लिए लड़ने वाले यह लोग ही इस देश के महायोद्धा हैं और अगर कभी आपसे में टकरा गए तो महाभारत तय है।
ऐसे दर्शक रूपी नादान लोगों को इन तस्वीरों को देखना चाहिए, हाथ मिलाते समय इनकी गर्मजोशी को महसूस करना चाहिए और मंच साझा करते हुए इनके चेहरों की खुशी पर भी थोड़ा ध्यान देना चाहिए….तब शायद आपका यह भ्रम टूटे कि टीवी पर जानी दुश्मन प्रतीत होने वाले ये महायोद्धा असल जिदंगी में भी एक दूसरे से उतनी ही नफरत करते होगें जितनी की टीवी पर अक्सर हम महसूस करते हैं।