खुद को दिवालिया साबित करने की कोशिशों में जुटे जेपी इंफ्राटेक ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख बरकरार करते हुए कंपनी को 2000 करोड़ रुपये 27 अक्टूबर तक जमा करने का आदेश दिया है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जेपी के एमडी सहित सभी निदेशकों के विदेश जाने पर रोक लगा दी है और जरूरी होने पर विदेश यात्रा के लिए पहले कोर्ट की इजाजत लेने की बात कही है।
कोर्ट ने कंपनी पर बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि कंपनी बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए, हमें घर खरीदारों की फिक्र है। साथ ही बैंकों को काेर्ट ने निर्देश देते हुए कहा है कि जेपी के फ्लैट्स खरीदने के लिए होम लोन लेने वालों के साथ नरमी बरती जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा गठित संस्था अंतरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल्स (आईआरपी) को जेपी इंफ्राटेक के प्रबंधन की जिम्मेदारी लेने को कहा है।
कोर्ट ने आईआरपी से कहा कि वह फ्लैट खरीदारों और देनदार के हितों की रक्षा के लिए 45 दिनों के अंदर एक सामाधान योजना उसे सौंपे।
बता दें कि चित्रा शर्मा सहित जेपी इंफ्रा के दूसरे फ्लैट खरीदारों ने कंपनी को दिवालिया घोषित किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें अभी तक अपने मकानों के कब्जे नहीं मिले हैं और कंपनी को दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही उन्हें बगैर किसी राहत के अधर में छोड़ देगा।
इस जनहित याचिका पर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए0एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने जेपी इंफ्राटेक और अन्य को नोटिस भी जारी किए थे। पीठ ने इस संबंध में रियल इस्टेट कंपनी, भारतीय रिजर्व बैंक और दूसरे हितधारकों से जवाब मांगे थे।