रूद्रप्रयाग: केदारनाथ विकास प्राधीकरण का गठन होने के साथ ही इसका विरोध भी शुरु हो गया है। केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ विकास प्राधीकरण का पुरजोर विरोध करते हुए इसे अपने हक पर कुठाराघात बताया है। पुरोहितों ने एलान किया है कि जब तक सरकार प्राधीकरण काे भंग नहीं करती तब तक इसका विरोध जारी रहेगा।
केदारनाथ तीर्थ पुरोहित सभा ने के0डी0ए को जबरन थोपे जाने वाला प्राधिकरण बताया है। उनका कहना है कि बड़े शहरों को छोडकर एक छोटे से स्थान को प्राधिकरण के दायरे में लाना न्यायसंगत नहीं है।
इस मामले में जिलाधिकारी का साफ कहना है कि केदारपुरी में सुनियोजित निमार्ण कार्यों को लेकर के0डी0ए (केदारनाथ डेवलपमेंट अथॉरिटी) का गठन किया गया है। जो कि वर्ष 2013 में हो गया था लेकिन पदों की स्वीकृति न होने से प्राधिकरण अस्तित्व में नहीं आया था। अब प्राधिकरण में 13 पदों को स्वीकृत कर दिया गया है और बायलॉज भी तैयार किया जा चुका है।
के0डी0ए के गठन से कहीं ना कहीं तीथपुरोहित और सरकार आमने सामने आ गई हैं, ऐसे में आने वाले समय में प्रशासन को धाम में प्राधीकरण की गतिविधियां संचालित करने में दिककतें जरुर आयेंगी।
माना जा रहा है कि विभाग के आधिकारी और मंत्रीगण ने अपने निजी फायदे के लिए प्राधिकरण को स्वीकृति दे दी, जिसका खामियाजा केदारनाथ के स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ेगा। फिलहाल जहां सरकार का केंद्र बिंदु क्षेत्र को आपदा के दंश से उभार कर विकास के क्षेत्र में कार्य करने का होना चाहिए था। लेकिन सरकार लोगों के हित में फैसले लेने के बजाये अपना स्वार्थ साधने में लगी है।
इसे पहले भी उत्तराखंड सरकार ने खूब ज़ोर आजमाइश की कि बद्री केदार मन्दिर समीति को भंग किया जाए लेकिन हाई कोर्ट के फैसला ने राज्य सरकार के सारे मनसूबों पर पहले ही पानी फेर दिया।