वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। एक तरफ जहाँ लोग लंकेश की हत्या की जांच की मांग सीबीआई से करवाने की कर रहे हैं, वहीँ दूसरी तरफ राजनीतिज्ञ लोग इस मामले पर भी रोटियां सकने और विवादित बयान देने से बाज नहीं आ रहे हैं।
यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भाजपा के विधायक ने गौरी लंकेश की हत्या को लेकर एक विवादित बयान दिया है।
ख़बरों के मुताबिक़ कर्नाटक के भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जीवराज ने भाजपा कार्यकर्ताओं की एक बैठक के दौरान कहा कि अगर गौरी लंकेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों की मौत के जश्न के बारे में ना लिखती तो शायद आज जिंदा होतीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार के दौरान कई आरएसएस कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन सिद्धारमैया सरकार ने इन हत्यारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अभी तक संघ परिवार के 11 लोग वहां मारे जा चुके हैं।
जीवराज ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में हमने संघ के लोगों को मरते हुए देखा, जिसके बाद गौरी लंकेश ने भी उनके बारे में लिखा। अगर वह इस तरह के लेखों से दूरी बनाए रखतीं तो शायद जीवित होतीं। गौरी लंकेश मेरी बहन की तरह हैं, लेकिन जिस तरह से उन्होंने हमारे खिलाफ लिखा वह गलत था।
लेकिन सवाल यह है कि जब हमारे देश के चौथे स्तंभ को समाज में फ़ैल रही कुरीतियों और किसी भी मुद्दे पर बेबाकी से अपनी कलम चलाने का अधिकार है तो फिर राजनितिक दल आखिर इतने शर्मनाक बयान बाजी करने से क्यूँ बाज नहीं आते? क्या किसी के खिलाफ तथ्यों के आधार पर लिखना कोई जुर्म है?