मनोज इष्टवाल
पेशे से अध्यापिका लेकिन नाम से जिसे सब भाई साहब करके पुकारें तो होगा न आश्चर्य! सचमुच मुझे भी यह शब्द जब पहली बार सुनाई दिया तो दंग रह गया. चौबटटाखाल के ग्राम ताली के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत श्रीमती बबिता नेगी अपनी विशिष्ट कार्यशैली के लिए गॉववासियों के मध्य बेहद लोकप्रिय है. अपनी कर्मस्थली को ही सर्वोपरि मानना बबिता नेगी की प्राथमिकता में शामिल है.
गॉव से उखड़ते पैरों और पलायन की अंधी दौड़ से बबिता बेहद चिंतित हैं. बबिता नेगी कहती हैं कि आखिर चिंतित हो भी तो क्यों नहीं. हम सबके पैरों में जाने कैसे चक्र लगे हैं कि हमें भौतिक सुखों के लिए अपने खेत खलिहानों का परित्याग करना पड़ रहा है. ग्रामीण माँ बहनों की पीड़ा को सालती बबिता नेगी व उनके सहयोगियों व ग्रामीणों ने मिलकर गवाणी पार ग्राम सभा सलाण में अपनी अमूल्य लोक संस्कृति को बचाए रखने के लिए एक ऐसे लोक उत्सव का आयोजन किया जो इस से पूर्व कभी हुआ ही नहीं था.
विकास खंड पोखड़ा के अंतर्गत पड़ने वाले ग्राम सलाण व मेरु मुलुक संस्था द्वारा संयुक्त रूप से लोक गीत लोक नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमें पोखड़ा विकास खंड के 13 महिला मंगल दलों ने प्रतिभाग किया.अपने विद्यालय के कार्यभार के बाद जो भी समय बचता बबिता नेगी अपने संसाधनों के माध्यम से इस कार्यक्रम के सफल बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए थी. लोक साहित्य व लोक संस्कृति के लिए समर्पित बबीता नेगी का कहना है कि अब हमने लोक समाज व लोक संस्कृति की अपनी इस अमूल्य धरोहर के लोक संस्कारों को जीवित रखने का बीड़ा उठा ही लिया है तो हर बर्ष अब यह प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। बबिता नेगी कहती हैं कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व भाई गिरीश सुन्द्रियाल जोकि पेशे से अध्यापक हैं उनके सहयोगी स्टाफ़ के साथ तारमतम्य बिठाते हुए गॉव ग्राम प्रधान श्रीमती बिमला नेगी व मेरु मुलुक संस्था के अभूतपूर्व प्रयास ने इस लोक संस्कृति को दर्शनीय बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. उन्हें आशा नहीं थी कि कार्यक्रम को देखने के लिए सुदूरवर्ती सलाण गॉव में इतनी भीड़ जुटेगी. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए ग्रामीणों की जो भी सहभागिता रही हो उसको तो वे नमस्कार करती ही हैं लेकिन जितना सहयोग उनके सहपाठी अध्यापकों द्वारा उन्हें आर्थिक मदद इस कार्यक्रम को सफल करने में दी गयी उसकी वे ऋणी हैं.
ग्रामीण अंचल में पहली बार आयोजित इस प्रतियोगिता के लिए ग्रामीण क्षेत्र की उम्र दराज महिलाओं ने जिस तरह की तैयारियां की थी वे पेशेवर कलाकारों से कम नही थी । सुदूरवर्ती क्षेत्र मे आयोजित हुई इस प्रतियोगिता को ग्रामीणों द्वारा सामुदायिक सहयोग से आयोजित कर एक मिशाल कायम की ।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विकास खंडप्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत सदस्य प्रवेश सुन्दरियाल थे। सलाण में आयोजित इस लोकगीत लोकनृत्य प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध कोरियोग्राफर और लोकगायक अनिल बिष्ट ,गढ़वाली फिल्मों के नायक गीतकार कवि मदनमोहन डुकलान, जिला युवा कल्याण समिति के अध्यक्ष त्रिभुवन उनियाल, समाजसेवी व पत्रकार डॉ. बिन्तेश्वर बलोधी, गढ़वाली कवि धर्मेंन्द्र नेगी और वरिष्ट पत्रकार एवं वर्तमान में लोक भाषा लोक बोली संवर्धन परिषद के उपाध्यक्ष गणेश खुगशाल गणी शामिल रहे । इस कार्यक्रम में लोकगायक अनिल बिष्ट, गढ़वाली हास्य व्यंग्य के प्रखर कवि हरीश जुयाल कुटज , राकेश खंतवाल ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध गीतकार कवि गिरीश सुन्दरियाल ने किया। किमगडी पट्टी के 13 महिला मंगल दलों ने इस प्रतियोगिता में अपनी सहभागिता निभाई है जिसमें महिला मंगल दल सलाण प्रथम स्थान, पालिधार द्वीतीय, मालकोट ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. ग्रामीण क्षेत्र में पहली बार लोक संस्कृति पर केन्द्रित इस आयोजन में लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। लोकगीत लोकनृत्य की इस प्रतियोगिता में सलाण,मालकोट,किमगड्डी(पडियार), झलपाडी़,चरगाड, ड्वीलामल्ला, श्रीकोट,किमगड्डी(लंगटियाल), चोपडा़ ,पालीधार ,गवाणी तथा ड्वीला तल्ला की महिला मंगल दलों ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को ट्राफी व नकद पुरस्कार दिया गया ।