देहरादूनः एक तरफ जहां हम गंगा सफाई की बात कर रहे हैं, और हर तरीके से गंगा को स्वच्छ और अविरल बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं कुछ लोग आस्था की आड़ में गंगा को मैला करने में तुले हुए हैं।
भले ही एनजीटी ने पूर्ण रूप से गंगा में किसी भी प्रकार से आस्था के नाम पर तमाम पूजा की सामग्रियां और पॉलिथीन को प्रवाहित करने पर रोक लगाई है। लेकिन एनजीटी का यह फरमान केवल फरमान ही रह कर सीमित रह गाया है।
हमारे पास कुछ ऐसी तस्वीरें हैं जिनमें आप साफ तौर पर देख सकते हैं। किस प्रकार गंगा में खुले आम आस्था के नाम पर पूजा का सामान और पॉलिथीन आदि गंगा में प्रवाहित की जा रही हैं।
हरिद्वार डीएम दीपक रावत ने हैलो उत्तराखंड से बात करते हुए बताया कि एनजीटी के नियमों का पालन हो रहा है। घाटों के किनारों पर कूड़ेदान लगाए गए हैं, जिनसे प्रतिदिन कूड़ा उठान किया जाता है। जहां तक पॉलिथीन प्रवाहित करने की बात है, उसके लिए 500 रूपए का अर्थदंड लिया जाता है। डीएम का कहना है कि खुद हमने 20 क्विंटल कूड़ा घाटों से निकाला है। उनका कहना है कि हरिद्वार के स्थानीय लोग अब गंगा में किसी भी प्रकार का कूड़ा व पूजा की सामग्रियों को प्रवाहित नहीं करते हैं। लेकिन बाहर से आए श्रद्धालु यहां पर पॉलिथीन आदि को प्रवाहित करते हैं। जिनके लिए हम हर घाट में चैकिंग प्वांइट बनाने जा रहे हैं। जिससे श्रधालुओं को ऐसा कोई भी सामान नहीं ले जाने दिया जाएगा जिससे गंगा दूषित हो।
लेकिन जो वीडियो और तस्वीरें हम आपको दिखा रहे हैं उससे आपको यह तो पता चल ही गया होगा कि स्थानीय प्रशासन किस प्रकार और कितना सजग है, गंगा संरक्षण के लिए?