प्रदेश का उर्जा महकमा लगातार सुरखियां बटोरने में लगा हुआ है । इस समय महकमें का यूपीसीएल में निदेशक वित्त की कुर्सी सवाल बनी है। जो कहीं न कहीं भाजपा की जीरो टॉलरैंस नीति पर भी सवाल खड़ी करती नजर आ रही है।
दरअसल मामला यह है कि निदेशक (वित्त) के पद पर सेवाविस्तार एम.ए.खान का सेवाकाल 31 जुलाई को समाप्त होने को है। लेकिन अभी विभाग ने इस पद के लिए कोई विज्ञप्ति जारी नहीं की। जबकि कायदे के अनुसार विभाग को विज्ञप्ति जारी कर देनी चाहिए थी।
ज्ञात हो कि ये वहीं एम.ए.खान हैं जिनकी नियुक्ति के दौरान इनको शासन-प्रशासन का पूर्ण समर्थन मिला और यहां तक कि सभी नियम कायदों को ताक पर रखकर नियुक्ति की गई। जिनकी नियुक्ति पर कांग्रेस सरकार ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंश कपूर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस बाबत चिट्ठी लिखी थी। जिसमें साफ तौर पर लिखा गया था कि उक्त नियुक्ति के लिए नियमों को ताक पर रखा गया है।
भाजपा सरकार के सत्तासीन होने के बाद भी निदेशक (वित्त) पद पर फिर एक बार महरबानी की जा रही है। क्यूंकि अभी तक ना तो पद के लिए विज्ञप्ति जारी की गई है और ना ही कोई अन्य ऑपशन रखा गया है। आपको बता दें कि नियुक्ति के दौरान (2014 में ) जो योगयताएं (आईसीडब्लूए) चाहिए थी उसमें भी फेर बदल कर दिया गया और एमकॉम जोड़ा गया। जिसमें फिर 2016 में फेरबदल कर आईसीडब्लूए कर दिया गया। अब देखना होगा कि भाजपा सरकार भी कहीं पूर्व सरकार के नक्शेकदमों पर तो नहीं चलती या फिर जीरो टॉलरैंस की नीति अपनायेगी?