रूद्रप्रयाग जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है। जिसमें सरकारी विभाग भी लाचार नजर आ रहा है। यहां नताओं की क्षत्रछाया रखने वाले ठेकेदारों के आगे न तो सरकार की चल पाई और ना ही सरकारी नुमाइंदों की।
दरअसल जिले के तल्ला नागपुर क्षेत्र के दर्जनों गांवों को सडक सुविधा से जोडने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना के तहत भौशाल-तडाग मोटर मार्ग का निमार्ण कार्य कांग्रेस सरकार के तहत 2013 में शुरू किया गया। लेकिन सड़क की हालत यह है कि यह सड़क पिछलों 4 सालों से बन ही रही है। और अभी तक भी इसका कार्य पूरा नहीं हो पाया है। जबकि टैंडर के हिसाब से सड़क को अगस्त 2014 में पूरा हो जाना चाहिए था।
हम आपको बता दें कि इस योजना का कार्यभार गौड इन्फ्रास्टकचर एंड कन्सट्रक्शन कंपनी को सौंपा गया था। सड़क की लंबाई 14.20 किमी है जिसके लिए 7 करोड़ 57.16 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी।
हैरत की बात तो यह है कि टैंडर पूरा किए बगैर ही ठेकेदार को कार्य के एवज में 5 करोड 16.29 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया गया। और जिसके परिणाम स्वरूप लगभग 4 साल के बाद भी ग्रामिणों व क्षेत्रीय जनता की समस्या जस की तस बनी हुई है। यदि यह सड़क निर्धारित समय में बन जाती तो 8 लोगों की जिन्दगियां बच जातीं। बता दें कि सड़क मार्ग इतना अवरुद्ध है कि आए दिन यहाँ सड़क हादसे होना मामूली सी बात है, और इसी कारण यहाँ पर अभी तक 8 मौते हो चुकी हैं।
यह मार्ग जानलेवा बना हुआ है। जिसमें हजारों लोगों की प्रतिदिनचर्या होती है। स्कूली बच्चे भी इसी सड़क से आवाजाही करते आए हैं। लेकिन फिर भी बेखबर और बेअसर बन बैठे ठेकेदार समय सीमा के पार होने के इतने साल बाद भी आंखें मूंद कर बैठें हैं। वहीं सरकार के नुमाइंदे भी इनके आगे लाचार ही नजर आ रहे हैं जो निर्धारित समय सीमा के बाद भी इसके प्रति कोई भी आवाज नहीं उठा पाए हैं।
वहीं आरसी उनियाल अधिसाशी अभियंता पी.एम.जी.एस.वाई ने हेल्लो उत्तराखंड से बात करते हुआ स्वयं ही स्वीकारा कि मार्ग निर्माण कार्य में खामियां भी हैं और देरी हो रही है। मगर ठेकेदार की उंची पहुंच के आगे वे भी महज नोटिस देने तक ही सीमित हैं।
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि नेताओं एवं नौकरशाहों की क्षत्रछाया में पलने वाले इन जैसे ठेकेदारों की वजह से सरकारी विभाग भी बेबस बना हुआ है। लेकिन इस खबर से तो यही समझ आ रहा है कि जिन भी नेताओं और नौकरशाहों की क्षत्रछाया में इस ठेकेदार पर इतनी बड़ी मेहरबानी की जा रही है जैसे सरकार उसी की जेब में हो ।