उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा 2017 का परिणाम घोषित हो गया है,लेकिन एक माह बाद उत्तराखंड बोर्ड पर एक बडा सवाल उठ रहा है। ये सवाल बोर्ड की गलत मार्किंग को लेकर उठ रहा है कि कैसे बोर्ड परिक्षाओं की कॉपी चैक करने वाले शिक्षक गलत मार्किंग कर छात्रों के भविष्य से खिलावड़ कर जाते हैं।
उत्तराखंड बोर्ड की गलत मार्किंग को लेकर इस वर्ष 12 वीं परीक्षा पास कर चुके, बोर्ड परिक्षार्थी ने सवाल खडे किए है। टिहरी जिला मुख्यालय के सरस्वती विद्या मंदिर के छात्र अजीत गुंसाई ने अंग्रेजी विषय में कम अंक दिए जाने को लेकर सवाल उठाए है,अजीत का कहना कि जिस दिन बोर्ड परिक्षा का रिजल्ट आया था ।
उसी दिन उन्हे ऐहसास हो गया था कि अंग्रेजी विषय में उन्हे कम अंक मिले है, जबकि उन्हे अंग्रेजी विषय में अच्छे नम्बर आने की उम्मीद थी,खास बात ये है कि अजीत के अंग्रेजी विषय को छोडकर सभी विषय में 90 अंक से ज्यादा हैं। जबकि अग्रेजी में अजीत को केवल 62 अंक मिले है जिसको लेकर सवाल भी उठ रहे है कि सभी विषय में जब छात्र को 90 अंक से ज्यादा मिल गए तो कैसे एक विषय में छात्र का इतने कम अंक मिल गए।
हैल्लो उत्तराखंड न्यूज़ की टीम से जब अजीत ने बात की तो उनका कहना था कि यदि उसे अंग्रेजी विषय में सही नम्बर मिलते तो वह उत्तराखंड बोर्ड का टॉपर भी बन सकता है।
उसका कहना था कि उसने आर टी आई के जरिए बोर्ड से अपनी अंग्रेजी विषय की उत्तर पुस्तिका की मुल्याकंन की कॉपी मंगावाई है जो उसे प्रप्त हो चुकी है।
उसका कहना था कि उसने मुल्याकंन की अपनी कॉपी कई शिक्षको से चैक करवाई है जिसमें सभी ने उनको 90 अंक से ज्यादा मिलने की बात की है।
अब अजीत कम अंक मिलने को लेकर कोर्ट का दरवाज खटखटाने जा रहे है।
बहरहाल अजीत जो दावा कर रहा है कि वह उत्तराखंड बोर्ड का टॉपर बन सकता था तो आपको बता दें कि अजीत और 12 वीं में टॉप करने वाले आदित्य घिल्डियाल के बीच महज टोटल नम्बर में 23 अंको का फरक है,और अगर वास्तव में जो दावा अजीत कर रहा है वह सही साबित होता तो उत्तराखंड के टॉपर में अजीत का नाम भी हो सकता था।
सूत्रो का कहना कि जब बोर्ड परिक्षार्थीयों की टॉपर लिस्ट आई थी तो उसी समय बोर्ड ने कॉपी चैक करली थी। जिसमें हर उत्तर के कई बार टोटल जुड गए लेकिन टोटल नम्बर 62 ही आ रहे थे, लेकिन बोर्ड के कई अधिकारी भी मान चुके थे कि सही उत्तर का जवाब दिए जाने के बाद भी कॉपी चैक करने वाले शिक्षक के द्धारा छात्र को कम नम्बर दिए गए है, हांलकि बोर्ड के हाथ में कॉपी चैक हो जाने के बाद नम्बर बढाने का अधिकार नही है और न ही उत्तराखंड में रिचक कॉपी जांचने का अधिकार है।
इस मुद्दे पर जब हमने उत्तराखंड बोर्ड के सचिव विनोद सिमिलति से बात की तो उनका कहना था कि बोर्ड के पास केवल कॉपी की स्कूट्नी करने का अधिकार है जो अजित को रिजल्ट डिक्लेअर होने के एक महीने के अन्दर ही चेक करानी थे लेकिन उनने नही कराई।
अब जबकि छात्र को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, तो अब अजित का कहना है के वह उचित न्यायालय के सामने इस मुद्दे पर अपनी याचिका डालेगा।
अब देखना ये होगा कि छात्र के कोर्ट में जाने के बाद कोर्ट छात्र की कॉपी रिचक करने का आदेश देते हैं या नही, लेकिन पूरे मामले से बोर्ड की कमियां परिक्षा परिणाम को लेकर उजागर हुई है कि कैसे कई शिक्षको की गलत मार्किंग से छात्रो के भविष्य से खिलवाड़ होता है।