रुद्रप्रयाग : केदारनाथ में मंदिर से 100 मीटर दूर ऊधव कुंड के पास मकानों की सफाई के दौरान नरकंकाल मिलने की खबर बीते दिनों से जोरों-शोरो से चल रही है, कई नामी गिरामी मीडिया चैनल्स, पत्रिकओं और पोर्टल्स ने भी इस खबर को काफी तवज्जों देते हुए इसे केदारनाथ त्रासदी से जोड़ा और काफी भावुक खबरे चलाई।
हैलो उत्तराखंड ने जब इस खबर की पड़ताल शुरू की तो उसमे ये नरकंकाल मिलने की खबर फर्जी साबित हुई..असल में कंकाल किसी जानवर का था।
हैलो उत्तराखंड ने रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी से बात करी तो उन्होंने बताया कि नरकंकाल मिलने की सुचने पाते ही उन्होंने प्रशासन की टीम को मौके पर भेजा था, लेकिन कंकाल मिलने की पुष्टि नहीं हुई। साथ ही डीएम मंगेश घिल्डियाल ने कहा की इस मामले की जाँच करवाई जा रही है कि आखिर नरकंकाल मिलने की अफवाह किसने उड़ाई थी।
इसी कड़ी में हैलो उत्तराखंड ने मौके पर निरक्षण करने पहुंचे केदारनाथ चौकी प्रभारी विपिन चन्द्र पाठक से बात करी, उन्होंने बताया की उनके द्वारा स्वयं मौके पर जाकर स्थिति का पता लगाया गया था, लेकिन उन्हें मौके पर ऐसा कुछ नहीं मिला। पुलिस ने करीब दो घंटे तक आसपास के क्षेत्र को खंगाला।
इन सब से बात करने के बाद हैलो उत्तराखंड ने केदारनाथ व्यापार मंडल के अध्यक्ष से बात करी तो उन्होंने बताया की कल नरकंकाल मिलने की आफवाहे फेलाई गयी थी लेकिन असल में वो खच्चर का कंकाल था, जो स्थानीय लोगो को घर के पीछे खुदाई के दौरान मिला था। इसे सामान्य घटना बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे जानवरों के कंकाल मिलना सामान्य बात है इसलिए इस मामले में प्रशासन को बीच में न लाते हुए उस कंकाल का अंतिमसंस्कार कर दिया गया।
अब सवाल ये उठता है कि क्या नामी-गिरामी पत्रिकाएं, चैनल, पोर्टल सूचना की पुष्टि करे बिना ही खबरे बना और चला देते है?