केदारघाटी को जोडने वाला एकमात्र पुल -खस्ता हालत में

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–कुलदीप राणा ,रूद्रप्रयाग

60 के दशक में रूद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी पर बना केदारघाटी को जोड़ने वाला मोटर पुल लगभग पूरी तरह से जीर्ण शीर्ण हो चुका है। अब यह पुल किसी भी अनहोनी की दस्तक तो जरूर दे रहा है, किन्तु इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
इस पुल को बने करीब 50 साल से ज्यादा हो चुके है और इसकी स्थिति दयनीय हो चुकी है, लेकिन इस ओर न तो जिले के बडे अधिकारियों का ध्यान गया और न ही सम्बन्धित विभागों का जबकि हर रोज इस पुल से गुजर रहे नेतागणों और नौकरशाहों ने भी इसकी सुध नही ली।

केदारघाटी में इस पुल को लाईफ लाईन कहा जाता है क्योकि इस पुल से केदारनाथ यात्रा के साथ ही तुंगनाथ व मद्यमहेश्वर की यात्रा भी चलती है जबकि एल एण्ड टी विद्युत परियोजना समेत कई निर्माण एजेंसियों की निर्माण सामग्रियों से लदे बडे माल वाहन भी इसी पुल से गुजरते हैं! केदारघाटी के लिए खाद्य सामग्री, दूध, पेट्रोल डीजल व गैस के बडे ट्रक भी इसी पुल से गुजरते है।ं बड़ी बात यह है कि इसके निर्माण के बाद पर इस पुल पर एक समय में एक ही बडा वाहन जाने की इजाजत थी और उस दौर में बकायदा पुल के दोंनो छोरो पर पुलिस कर्मी भी तैनात रहते थे, लेकिन आज स्थिति यह है कि उस दौर के मुकाबले वाहनो का बोझ चैगुना हो चुका है। तमाम तरह की निर्माण सामग्रियों से मालवाहनों से पुल जर्जर हो चुका है जिससे पुल कभी भी किसी बडे हादसे को न्यौता दे सकता है! जबकि यह पुल बेलनी के तल्लानागपुर से भी जुडता है। इसके साथ ही इस पुल के ऊपर से दर्जन भर पेयजल योजनायें समेत दूर संचार लाईने भी गुजरती हैं, ऐसे में, समय रहते इस पुल का पुनः निर्माण नहीं किया गया तो यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है जिसके चलते केदारघाटी और तत्लानागपुर पूरी तरह देश दुनिया से कट जायेगा।
इस विषय पर जब ‘‘हैलो उत्तराखण्ड‘‘ की टीम ने एन.एच विभाग के रूद्रप्रयाग अधिशासी अभियंता प्रवीन कुमार से बात की तो उन्होने माना कि इस पुल की स्थिति ठीक नही है जिसके चलते कुछ दिन पहले उन्होने एसपी रूद्रप्रयाग से भी बात की है कि वहां भारी वाहनों के आवाजाही की सख्त मनाही का बोर्ड लगाया जाए। साथ ही साथ यह भी कहा कि इस साल के प्रस्ताव में इस पुल का पुनः निर्माण का प्रस्ताव हमने नही रखा है लेकिन शीर्घ ही इसका प्रस्ताव को रखा जायेगा।
वहीं एनएच मुख्य अभियंता उत्तराखण्ड हरिओम से जब ‘‘हैलो उत्तराखण्ड‘‘ ने बात की तो उनका कहना था कि पुल में ऐसा कोई खतरा नही है जिससे कोई अप्रिय घटना घटे। और उनका यह भी था कि ‘‘आल वेदर रोड‘‘ परियोजना के चलते जितने भी वन वे पुल है उन सब को टू वे बनाने का प्रस्ताव है जिसमें रूद्रप्रयाग पुल का पुनः निर्माण भी शामिल है।
अब देखना होगा कि एनएच का यह दावा पुल की सुरक्षा को और कितने समय तक बरकरार रख पाता है ।

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