देहरादून पुलिस ने जमीन खाली करवाने के नाम पर एक महिला को धमकाने व उस पर फायरिंग कर डराने धमकाने वाले गैंग को आज गिरफ्तार कर लिया है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने यह जानकारी देते हुए कहा कि दिनांक 6-7-2017 को सुनीता पत्नी स्व0 बृजपाल निवासी सुभाषनगर द्वारा थाना क्लेमनटाउन में एक तहरीर दी थी कि उसके घर पर जबरन घुसकर कुछ बदमाशों ने उनकी जमीन खाली करवाने के लिए उसे डराया, धमकाया और यहां तक कि एक फायरिंग भी की।
वहीं एसएसपी का कहना है कि मामले में सामने आया कि डीके मित्तल ने सुनीता देवी से यह जमीन खाली करवाने के लिए सुनील राठी गैंग को हायर किया हुआ है। साथ ही उन्होने बताया कि सुनीता के परिचित सचिन शर्मा को भी सुनील राठी के भाई नरेन्द्र राठी ने कॉल कर धमकाया । जिस बाबत सुनीता ने मामला पुलिस में दर्ज करवाया।
क्या है पूरा मामला
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि डीके मित्तल निवासी क्लेमेन्टाउन की सुभाषनगर में करोंड़ों की जमीन है। जिस पर सुनीता नाम की महिला वर्षों से काबिज है।मित्तल ने सुनीता को इस जमीन से हटाने के लिए सुनील राठी के भाई नवदीप राठी से सम्पर्क किया। नवदीप राठी ने अपने साथी नरेन्द्र राठी, विपिन, आकाश चौधरी व् नरेन्द्र को इस काम के लिए शामिल किया। इस दौरान नवदीप व नरेन्द्र राठी ने सुनील राठी (जो जेल में है) से जेल में संपर्क किया। जिसमें मित्तल से सौदा करने के लिए जमीन में अपनी हिस्सेदारी तय की और दिनांक 6जुलाई 2017 को सुनीता को जमीन से हटाने के लिए डराया धमकाया एवं यहां तक कि फायरिंग भी की और नरेन्द्र राठी ने सचिन शर्मा को फोन पर जमीन से न हटने के बदले में जान से मारने की धमकी भी दी।
जेल से संचालित हुआ पूरा प्रकरण!
गौरतलब है कि मित्तल ने सुनीता को हटाने के लिए जिस गैंग के माध्यम से डराया धमकाया वह कुख्यात सुनील राठी का गैंग है। हम आपको बता दें कि सुनील राठी इस वक्त पिछले 16 सालों से सलाखों के पीछे है। जिसने इस रंगदारी में अपना भी हिस्सा मांगा। लेकिन अब सवाल यह है कि कैंसे सुनील ने जेल में रहकर इतनी बड़ी रंगदारी कर डाली और कैंसे उसने अपने र्गुर्गों से मामले पर बात की? कहीं न कहीं इस मामले के सामने आने से पुलिस महकमें पर सवाले-ए-निशां खड़े हो गए हैं।
वहीं जब हैलो उत्तराखंड की टीम ने इस मामले में देहरादून जेल आईजीपी पीवीके प्रसाद से बात की तो उन्होंने बताया कि सुनील राठी व गैंग के 26 आरोपियों को पहले ही पकड़ा जा चुका है जो पिछले 16 सालों से जेल में हैं। जिनको सुरक्षा की दृष्टि से अलग-अलग जेलों में रखा गया है और उन पर जेल प्रशासन कड़ी निगरानी रखेगा। ताकि वो आपस में कोई भी वार्तालाभ न कर सकें और किसी घटना को अंजाम न दे सकें।
उत्तराखंड पुलिस के द्वारा किया गया यह पर्दाफाश काफी सरहानीय है। लेकिन सवाल अब यह है जिस प्रकार अभी तक मित्तल का नाम मामले में आ रहा है तो फिर अभी तक उसे गिरफ्तार क्यूँ नहीं किया गया है। हालाँकि इस सवाल परएसएसपी देहरादून ने हैलो उत्तराखंड की टीम को बताया कि इस मामले में और तहकीकात की जा रही है, जानकारी सही पाए जाने पर मित्तल पर भी नकेल कसी जाएगी।